शुक्रवार, 3 जनवरी 2014

मिथिलाक धरोहर, संस्कृति के प्रतीक छथि जगत जननी माता सीता

मिथिला  धरोहर : जगत जननी सीता केर मिथिलाक धरोहर और संस्कृति के प्रतीक मानल जाइत छनि। सीता रामायण आ रामकथा पर आधारित आन रामायण ग्रंथ, जेना  रामचरितमानस, के मुख्य पात्र छथि। सीता मिथिलाक राजा जनक केर ज्येष्ठ पुत्री छलथि ।हिनक विवाह अयोध्या के राजा दशरथ केर ज्येष्ठ पुत्र राम सँ स्वयंवर में शिवधनुष के भंग केला'क उपरान्त भेल छलनी। हिनक स्त्री आ पतिव्रता धर्म के कारण हिनक नाम आदर-सम्मान सँ लेल जाइत छनि। त्रेतायुग मे हिनका सौभाग्य के देवी लक्ष्मी के अवतार मानल जाइत छलनी।

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रामायण के अनुसार मिथिला'क राजा जनक जी केर  खेत मे ह'र जोतैत समय एकटा बासन सँ भेटल छलनी। ह'र के संस्कृत मे' सीत' कहबाक कारण हिनकर नाम सीता पड़लनी। राजा जनक जी केर पुत्री हेबाक कारण हिनका जानकी आ जनकसुता सेहो कहल जाइत छनि। मिथिला'क राजकुमारी हेबाक कारण मैथिली नाम सँ सेहो प्रसिद्ध छथि।

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महाराज जनक जी सीता स्वयंवर के घोषणा केलथी आ ऋषि विश्वामित्र केर उपस्थिति हेतु निमंत्रण भेजल गेलनी। आश्रम मे राम आ लक्ष्मण उपस्थित के कारण हुनको मिथिलापुरी संग लेने एलाह।महाराजा जनक जी उपस्थित ऋषिमुनि के आशिर्वाद सँ स्वयंवरक लेल शिवधनुष उठाबैअ के नियम के घोषणा केलथी, रामजी धनुष के उठेलैथ आ शिवधनुष के दू खुंडी क देलथि। एही तरहे सीता  केर बियाह  श्रीरामजी सँ निश्चय भेलनी। संगे ऊर्मिला के बियाह लक्ष्मण जी सँ, मांडवी के भरत सँ आ श्रुतिकीर्ती के शत्रुघ्न सँ निश्चय भेलनी। विवाहोपरांत सीता अयोध्या आबि गेलथि।

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