सोमवार, 21 अगस्त 2017

मिथिलाक लोक चित्रकला के अभिन्न अंग अछि अरिपन

मिथिला धरोहर : अरिपन मिथिलाक लोक चित्रकलाक एकटा अभिन्न अंग अछि ( Mithila Aripan, Alpana ) । मिथिला मे सब पाबैन, पूजा पाठ आ सब तरहक शुभ काज जेना मुड़न, उपनयन, बियाह, दूरागमन मे अरिपन लिखल जेबाक एकटा बहुते पुराण परम्परा छैक।

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मिथिला मे अरिपन लिखब शुभ संकेत मानल गेल अछि। प्रत्येक उत्सव आ शुभ काजक लेल अलग-अलग तरहक अरिपन बनायल जाइत छैक, जेना बियाह मे वरक घर पर पीढ़ी  कमलक फूल केर आकृतिक एक-एक टा चित्र पाडल जाइत छैक आ कन्याक बियाह मे इ जोड़ा मे पाडल जाइत छैक आ द्विरागमन मे दुनू ठाम जोड़े मे। लक्ष्मी पूजा, भारदुतिया चौरचन मे एकटा अलगे तरहक अरिपन पाडल जाइत छैक।

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कोना लिखल जाइत छैक अरिपन
जाहि ठाम अरिपन बनायब पहिने ओहि जगह के गोरिया (चिकनी) माटि सँ चौखूंट ठाँव कैल जाइत छैक। तखन ओहि पर अरबा चाउरक पिसल पिठार ल'के उँगरी सँ भिन्न-भिन्न प्रकारक अरिपन उरेहल जायत छैक। अरिपन पाडलाक बाद ओहि उपर सिन्नुरक ठोप सेहो देल जाइत छैक। अरिपन के अल्पना सेहो कहल जाइत छैक दोसर संस्कृति समाज मे रंगोलीक रूप मे देखल जाकत छैक।
आर्टिकल : प्रभाकर मिश्रा 'ढुन्नी'

गुरुवार, 17 अगस्त 2017

मैथिली कविता : मिथिलाक पकवान

पांहुन-परक के पसिन इ खाना
बनल अछि एहि पे मैथिली गाना
'चुरा-दही' संगे लोंगीया मिर्चाइ
सगरो मिथिला एकर दीवाना।

बिदागरी के सनेश इ पूरी
देखिते नै अहाँ राखव दूरी
एकरा मे भरल दाईल-मसल्ला
नाम एकर छै 'दाइल पूरी'।

सुज्जि - चिन्नी, मेदा सानल
गरम तेल मे जायत इ छानल
नाम एकर ऐछ  'पिरुकिया'
एकरा बिनु नै कुनो पाबैन मनल।

पुच - पुच करै छै इ पकवान
अपना पर छै  एकरा  गुमान
नाम एकर अछि 'मालपुआ'
पाबैन - तिहारक इ मेहमान।

सगरो मिथिला एकरे सोर
भेटय  गाँव  मे  चारु  ओर
पिठार संग छानल जाइत इ
नाम एकर अछि  'तिलकोर'।

घाईट के कनि गीलगर क सैन
गरम तेल मे लिअ एकरा छैन
नाम एकर अछि 'बड़ी'
देखिते मुंह सँ टपके पैइन।

मेला मे कीनब झिल्ली-कचरी
खोलू बाबा पैसा के गेठरी
और खेबय बदसाहि, खाजा
यैह पकवान मिथिला के राजा।

इचना, पोठी, कबैह के झोर
अहि पकवानक नै  छै  तोर
'मांछ - भातक' बात नै  पुछु
ताहि लेल भुल्ला कनठी तोर।
----✒️ प्रभाकर मिश्रा 'ढुन्नी'----


Tags : # Maithili Kavita, Maithili Poem

शनिवार, 12 अगस्त 2017

Pankaj Jha Biography - अभिनेता पंकज झा के गांव सँ मुंबई धरिक सफर

मिथिला धरोहर, प्रभाकर मिश्रा 'ढुन्नी' : पंकज झा मूल रूप सँ मिथिलाक सहरसा ( Saharsa ) ज़िलाक मुरादपुर गामक निवासी छथि। कतोको हिट फिल्म मे काज कऽ चुकल पंकज झा के बाल्यावस्था सँ हुनका अभिनय करबाक शौख छलनी। मुदा राह हुनका लेल अतेक आसान नै छलनी। बाल्यावस्था मे पंकज जी लोगक नक़ल करैत छलैथ। किछ नमहर भेला तऽ अपन गांव मे नुक्क़ड नाटक और रंगमंच सँ जुडि गेला। ओ कतेको नाटक के मंचन सेहो केलैथ। पंकज झा प़ढाईक लेल पटना गेला और ओतउ ओ फाइन आर्ट्स के पढ़ाईक दौरान थिएटर सँ जुड़ल रहला। बाद मे दिल्ली आबि गेला और नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा सँ प्रशिक्षण प्राप्त करबाक उपरांत मुंबई के रुख केलैथ।
बी केयर फुल, मुंबई कटिंग, चलो दिल्ली, लफंगे परिंदे, तीन पत्ती, लाहौर, गुलाल, आपका सुरूर, अनवर, शिवा, मंगल सिंह, ब्लैक फ्राइडे, अनवर, चमेली, मुद्दा द इश्यू, हज़ारों ख्वाहिशें ऐसी, मातृभूमि: ए नेशन विदाउट वीमेन, रनिंग शादी, कंपनी एहन सफ़ल फिल्म मे अभिनय कऽ चुकल अभिनेता पंकज झा भले ही कम फिल्म मे नजर आबय छथि मुदा सब फिल्म के संग अपन अभिनय के छाप छोइड़ जाइत छथि।

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ओतय नीतू चंद्रा के होम प्रोडक्शन भोजपुरी फिल्म देसवा और मैथिली फिल्म ‘मिथिला मखान’ (राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त) मे सेहो काज कऽ चुकल छथि। 'मिथिला मखान' फ़िल्म ( Maithili Film Mithila Makhan ) मे ओ ब्रह्मा सिंह के किरदार निभा रहल छथि।

पंकज झा टेलीविजन के बहुते लोकप्रिय माध्यम मानैत छथि यैह द्वारे ओ सामाजिक मुद्दा पर आधारित धारावाहिक काशी: अब न रहेगा तेरा काग़ज़ कोरा मे और लाइफ ओके के धारावाहिक 26/11 मे सेहो काज केलथि। संगे सोनी लिव के वेब सीरीज 'निर्मल पाठक की घर वापसी' और 'Panchayat 2' मे सेहो अभिनय क चुकल छथि।

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सोमवार, 7 अगस्त 2017

छः हजार साल पुरान अछि रक्षा बंधन के इतिहास!

मिथिला धरोहर : रक्षा बंधन भाई-बहिनक प्रेम प्यारक पर्व अछि, एकटा मामूली सन डोरा जेखन भायक हाथ पर बांधई छथि त भाई अपन बहिनक रक्षा लेल अपन प्राण न्योछावर करवाक लेल तैयार भ जाइत छथि।

अहाँ जानय छी जे रक्षाबंधन के इतिहास बहुते पुराना अछि, जे सिंधु घाटी सभ्यता सँ जुड़ल अछि। असल मे रक्षाबंधन केर परंपरा ओ बहिन देने छलथि जे सगी नय छलथि, भले ही ओ बहिन अपन संरक्षणक लेल एही पर्व के शुरुआत किया नय केनय हो, मुदा ताहि दुआरे आय एही पावनिक मान्यता बरकरार अछि


इतिहासके4 पन्ना के देखव त एही पावनिक शुरुआत 6 हजार साल पहिले मानल जाइत अछि। एकर बहुते साक्ष्य सेहो इतिहासक पन्ना मे दर्ज अछि। रक्षाबंधनक शुरुआतक सबसँ पहिले साक्ष्य रानी कर्णावती और सम्राट हुमायूं केर अछि। मध्यकालीन युग मे राजपूत और मुस्लिम केे बीच संघर्ष चैल रहल छल, तेखन चित्तौड़ के राजा के विधवा रानी कर्णावती गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह सँ अपन आ अपन प्रजा के सुरक्षा के हुनो रस्ता नय निकलैत देख हुमायूं के राखी भेजलथि। तखन हुमायू हुनक रक्षा क हिनका बहिनक  दर्जा देने छलथि।


इतिहासक एकटा दोसर उदाहरण कृष्ण और द्रोपदी के मानल जाइत अछि। कृष्ण भगवान राजा शिशुपाल के मारने छलथि। युद्ध के दौरान कृष्ण के बामा हाथके उंगड़ी सँ खून बैह रहल छल, यैह देख द्रोपदी बहुते दुखी भेली और ओ अपन साड़ीके टुकड़ा चीर क कृष्ण केर उंगड़ी मे बैंध देलथि, जाहिसँ हुनकर खून बहनाय बंद भ गेलनि। कहल जाइत अछि जे ताहि समय सँ  कृष्ण भगवान द्रोपदी केर अपन बहिन स्वीकार क लेने छलखिन। बहुते सालक उपरांत जेखन पांडव द्रोपदी के जुआ मे हारि गेल छला और भरल सभा मे हुनक चीरहरण भ रहल छल, तखन कृष्ण जी द्रोपदी के लाज बचेने छलखिन।

गुरुवार, 3 अगस्त 2017

पुस्तक मे होइत अछि उल्लेख मिथिलाक एहि पांचो विख्यात स्त्रीगणक

१ - भारती - Mandan Mishra's wife Bharti
भारतीय धर्म दर्शन के सबसँ शिखर पर पहुंचौनिहार आदि शंकराचार्य एकटा साधारण मुदा बुद्धिमान स्त्रीगण सँ एकटा बहस मे हारी गेल छलखिन। मिथिलाक ओहि स्त्रीगणक नाम छलनी 'भारती'। महाकवि मंडन मिश्र केर पत्नी भारती मिथिलांचल मे कोसी नदीक कात स्थित एकटा गांव महिषि मे रहैत छलीह।

२२ वर्षक अवस्थे मे भारती चारु वेद, शिक्षा, कल्प, व्याकरण, ज्योतिष, सांख्य, न्याय मीमांशा, धर्मशास्त्र और साहित्य के अध्ययन कऽ लेने छलीह।

शंकराचार्य आ भारती के कतेको दिन धैर शास्त्रार्थ होइता रहल। एकटा महिला होबाक पश्चातो ओ शंकराचार्य के सब सवाल के जवाब देलनी। ओ ज्ञानक मामला मे शंकराचार्य सँ कनिको कम नै छलीह, मुदा 21मा दिन भारती के इ लगलनि जे आब ओ शंकराचार्य सँ हाइर जेतिह। 21मा दिन भारती एकटा एहन प्रश्न कऽ देलनी जे, जेकर व्यावहारिक ज्ञानक बिना देल गेल शंकराचार्य केर जवाब अधूरा भुझल जेतनी।

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२ - गार्गी वाचक्नवी - Gargi Vachanvi
मिथिला के विदुषी गार्गी वाचक्नु ऋषि केर पुत्री छली। अतः हुनक पूरा नाम गार्गी वाचक्नवी छलनी। वेद आ उपनिषद मे उच्चस्तरीय ज्ञान राखयबाली गार्गी अपन समकालीन पुरुष दार्शनिक के समकक्ष या हुनका सँ बेसी ज्ञानवती मानल जाइत छली। गार्गी के मिथिलाक राजदरबार के नवरत्न मे स्थान प्राप्त छलनी। ओ काल मिथिला मे विद्वता के स्वर्णकाल छल। राजा जनक द्वारा जनकपुर मे आयोजित ज्ञान सभा मे गार्गी आ गुरु याज्ञवल्क्य केर संगे भेल शास्त्रार्थ बहुते प्रख्यात अछि।

३ - मैत्रेयी - Maitrey
मिथिला के राजा जनक केर दरबार मे मैत्री नमक एकटा मंत्री छलैथ जिनकर पुत्री मैत्रेयी ज्ञान पिपासु छलनी। हुनका भौतिक संपत्ति मे कुनो रूचि नै छलनी। ओ एकटा सुविख्यात ब्रह्मवादिनी स्त्री छलीह। ओ ब्रह्मवाह केर पुत्र याज्ञवल्क्य महर्षि केर पत्नी छलीह।

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महर्षि सँ उपदेशित भ के ओ नारी सँ नारायणी के श्रेणी मे आबि गेली और श्रेस्ट नारीक रूप मे विख्यात भेलीह। ओ अमरत्व प्राप्त क ब्रह्मवादिनी बनी क अनंत ब्रह्माण्ड मे स्थान प्राप्त क सब गोटे के लेल आदर्श बनी गेलीह।मैत्रेयी एकटा मैत्रेयी उपनिषद लिखलनि। मैत्रेयी उपनिषद मे ओ लिखै छथि - तपस्या सँ मनुष्य अच्छाइ के प्राप्त करैत अछि अच्छाई सँ मस्तिष्क पर पकड़ बनैत अछि मस्तिष्क सँ स्वयं के साक्षात्कार होइत अछि और स्वयं सँ साक्षात्कार मुक्ति।

४ - लखिमा देवी - Lakhima Devi
लखिमा देवी (ललिमादेई) मिथिला के एकटा पराक्रमी राजा शिवसिंह केर पटरानी छलीह। अपन पति केर युद्ध मे मृत्यक उपरांत ओ १५१३ ई० धैर मिथिला पर शासन केने छलीह। इतिहासकारक मत अछि जे लखिमा रानी के पश्चात ओईनवार वंश नेतृत्वविहीन भ गेल। रानी लखिमा देवी कठिन प्रश्नक उत्तर बुझबाक हेतु समय - समय पर पंडित के महासभा आयोजित करैत छलीह। अहि परम विदुषी नारी के न्याय और धर्म शास्त्र मे पांडित्य प्राप्त छलनी।

ओ 'पदार्थ चन्द्र’ , 'विचार चन्द्र’ एवं 'मिथक्षरा वाख्यान’ नामक पुस्तक के रचना केलनि। महाकवि विद्यापति द्वारा रचित लगभग २५० गीत मे हुनक वर्णन अछि। महाकवि विद्यापति शिवसिंह केर देहांतक उपरांत बहुते दिन धैर ओ  लखिमा देवी के संग राजबनौली मे रहल छलैथ।

५ - विद्योत्तमा - Vidyottama
कालिदास केर महाकवि बनोनिहार 'विद्योत्तमा' उज्जयिनीक राजा शारदानन्द के पुत्री छलीह। ओ परम सुंदरी और विदुषी नारी छलीह। बड़का बड़का पंडित के हरोनिहार विद्योतामा के किछु धूर्त पंडित सब षड्यंत्र सँ मौन शास्त्रार्थ द्वारा कुंठित विद्वान सब काली दास जे कि एकटा महामुर्ख छलथि हुनका संगे करा देलनी।

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कालिदास द्वारा रचित 'कुमार संभव‘ के अपूर्ण अंश के विद्योत्तमा बाद मे पूर्ण केलनि। संस्कृतक एकटा और महाकाव्य 'रघुवंश’ के सेहो संपादन विद्योत्तमा द्वारा कैल गेलनि।