गुरुवार, 9 जुलाई 2020

मधुश्रावणी व्रत कथा : मौना पंचमी के पहिल दिनक कथा

एक दिन एकटा बूढी स्नानक हेतु पोखैर गेलि त देखलखिन जे धार में एकटा चिकनी पात पर पाँच टा किछु लहलाहैत अछि। ओ जीव सब बूढी के कहलखिन जे – हे बूढी ! गाम जा कऽ लोक सब के सूचित क दिअऊ जे आई मौनी पंचमी थिकैक से लोक सब अपना घर आँगन के निक जेकाँ पवित्र कय, स्नान कय पाँच टा मईटक आकृति बना ओहि में सिंदूर-पिठार लगा दूभि साईट देथिन आ हुनका पर नेबो, नीमक पात, कुश चढेथिन। नव बर्तन में खीर आ घुरजौर बनेती ओकर बाद बिसहारा के पूजा कय हुनका दूध, लावा, खीर आ घुरजौर चढ़ा अपनों सब नेबो नीम खीर-घुरजौर के सेवन करैथ। जे कियो एही प्रकारे पूजा करता तिनका कल्याण हेतनि।

बूढी गाम आबि सबके कहलखिन। सब गोटा बूढी के कहलानुसारे पूजा केलनि, मुदा किछु लोग एकरा मात्र खिस्सा बुझि अनठा देलैथ। जे सब पूजा केलैथ से सब तऽ ठीक रहला मुदा जे नय केलैथ से सब राति में मरि गेल। गावँ में हाहाकार मचि गेल। सब लोग धार लग ओहि बूढी संगे फेर गेलैथ त देखलखिन जे पाँचो बिसहारा साँप ओहिना लहलहैत छेलेथ। सब हुनका आगु कल जोरि मुइला क जियेवाक उपाय पुछलखिन। तखन बिसहारा कहलखिन जे – पहिने त ओ सब हमरा अनुसारे पावनि नहीं केलैथ ते सब मरि गेला ,आब एके उपाय जँ गाम में ककरो कराही में खीर-धोरजौर लागल हैत तँ ओकरा मूईल सब के मुँह में चटा देवैक त ओ सब पुनः जीवित भय जेता मुदा आगु सं नियमित मौनी पंचमी के पूजा करता ।

गाम क लोक बिसहारा के कहलानुसार केलेथ आ सब मुइल लोक सब पुनः जीवित भय गेला, और सब गोटा बिसहरी माता क प्रणाम कई हुनका सं क्षमा मंगलैथ।
बिसहारा के जन्म
एक दिन गौरी महादेव सरोवर में जल क्रीङा करैत छलाह।संयोगवश शिव के वीर्य स्खलन भय गेल। महादेव ओकरा पुरैनिक पात पर राखि देलखिन ल। ओहि सं बिसहारा पाँचो बहिन कऽ जन्म भेल I महादेव के अपना संतान पाँचो बिसहारा सं मोह भय गेल, ओ प्रतिदिन सरोवर में स्नान लेल जाथिन आ बङी - बङी काल धरि ओकरा सब संगे खेलैथ। गौरी क संदेह होमए लगलैन। ओ एक दिन महादेव के पाछु पाछु सरोवर तक गेलथ आ ओतय शिव के अनका संगे खेलाइत देख क्रोधित भय गेलैथ आ सब बिसहरी के फेकए लागलि। तखन महादेव हुनका बुझेलखिन जे ई सब हुनकर बेटी छिएनि आ कल्याणकारी छैथ। मृत्युभुवन में सावन मास जे एय पाँचो बहिन छी-जाया ,बिसहरी ,शामिलबारी आ दोतलि के पूजा करतैथ ओ धन-ध्यान सं पूर्ण होयतथि आ ओकरा सब तरहे कल्याण होयत।

कथा सुनला उपरांत नीचा लिखल बाचो बीनी सुनितीं - 
बाचो बीनी
"पुरैनिक पत्ता ,झिलमिल लत्ता ताहि चढ़ी बैसली बिसहरी माता।
हाथ सुपारी खोईंछा पान ,बिसहरी माता करती शुभ कल्याण"।।
देवता सब के प्रणाम करि बिनी क पोटरी कलश पर राखि सब जेष्ठ सब के प्रणाम करि ,पूजा बला साडी खोलि राईख देथिन,जकरा फेर सब दिन पूजा काल पहिरल जायत ।
साँझ में साँझ आ कोहवर क गीत गायल जायत । एहिना मधुश्रावनी सं एक दिन पूर्व तक पूजा कथा आ बीनी होईत रहत।
पहिल दिनक मधुश्रावणी पूजा कथा समाप्त भेल , आगू क्रमशः दिन प्रतिदिनक पूजा कथा प्रेषित करैत रहब..कुनु त्रुटि लेल समस्त मिथिला सँ क्षमा चाहब..!!!











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