प्रिय रघुवर नयना कसिकऽ धरू
काँपनि सिया केर गात
श्रीखण्ड चानन घसिकऽ धरू
पानक पात लए आँखि मुनाओल
शुभ घड़ी टेमी लेसि कऽ धरू
ई अवसर नहि लाजक बेर थिक
अपन हाथ सक्कत करू
प्रिय पाहुन नयना कसिकऽ धरू
नहु-नुह धर सखि बाती
धरकय कोमल छाती
नहु-नहु पान पसारह
नहु-नहु दुहु दृग झाँपह
मधुर-मधुर उठ दाहे
मधुर-मधुर अवगाहे
कुमर करह विधि आजे
मधुश्रावणी भल काजे
● आजु जनकपुर मंगल सखि लिरिक्स
आजु जनकपुर मंगल सखि सभ गाबथि हे
शुभ दिन पाबनि आजु हेतिन सिया दाइक हे
करतल धय पान जुगुति संओ मूनब
सीता दाइ केर नयना श्री राम हे
भालरि जकाँ सीता दाइ थर-थर कांपथि
टेमी देल हरखित श्री राम हे
श्रीखण्ड चाननक लेप कय देल
धन्य छथि विधिकरी सुजान हे
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