शुक्रवार, 25 अगस्त 2017

जखन गौरी दाई घर सँ भेली लिरिक्स - समदाउन लोकगीत

जखन गौरी दाइ घर सँ भेली, 
सखि दस रोदना पसार
ककर बदनि हम हेरइते हरब, 
संग छथि सहोदर भाय
एक कोस गेली बेटी दुइ कोस गेली, 
तेसर कोस चललो ने जाय
डोलिया उधारि जौं ताकथि गौरीदाइ,
छूटि गेल बाबा केर राज
घुरू भइया घूरि घर जइयौ, 
आमा के कहबनि बुझाय
आमा जे कनती हमरो सुरति करि, 
छने छन उठबै चेहाय

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