गुरुवार, 13 अप्रैल 2017

जनक नगर सँ चलली हे सीता लिरिक्स - समदाउन लोकगीत

Janak Nagar Sa Chalali He Sita Lyrics

जनक नगर सँ चलली हे सीता, 
आमा देलनि रोदना पसार
के मोरा सीता लए बसिया जोगएती, 
के मुख करत दुलार
ककरा लग भए बैसती हे सीता, 
ककरा लग हयती ठाढ़
ककरा लग भए सूतती हे सीता, 
केये कहथि मन केर बात

कौशिल्या लग भए बैसती हे सीता, 
दशरथ लग हएती ठाढ़
रामचन्द्र लग सुतती हे सीता, 
लछुमन कहथि मन केर बात

कल जोड़ि मिनती करथि राजा दशरथ, 
सुनू जनक ऋषिराज
एकहि बेटी हुनि सीता दाइ, 
राखथु कौशल्या केर मान
वएह कौशल्या बसिया जोगएती, 
बएह मुख करत दुलार
घर आंगन अनचीन्ह होयतनि,
अनचीन्हपुर नर नारि
दिवस बिताय कोना कऽ रहती, 
जाइ छथि जनक दुलारि

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