कथी लए एलै सखि अगहन महीनमा,
कथी लए भेलै नरव सारी धनमा
बेटी लए जे एलै अगहन महीनमा,
जमाय लेल कूटब नव सारी धनमा
एहि बेरक गौना नहि मानव यौ बाबा,
खाय दीअ नवकुटी भात
एक बेर फेरलौं बेटी दुइ बेर फेरलौं,
तेसर बेर नटुआ जमाय
खोलि लैह आहे बेटी गाय-महीसिया,
आमा सांठथि पौती पेटार
एते दिन छलौं बाबा अहीं रे हवेलिया,
आइ किएकरै छी विदाइ
भनहि विद्यापति सुनू हे बेटी,
सभ धीया सासुर जाइ
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