शुक्रवार, 26 जनवरी 2018

Writer Dr Shefalika Verma - लेखिका डॉ० शेफालिका वर्मा : आधुनिक उत्कृष्ट मैथिली साहित्यकार

मिथिला धरोहर : डा० शेफालिका वर्मा के मैथिली साहित्य के महादेवी मानल जाइत छनि। मैथिली साहित्य में उल्लेखनीय योगदान लेल साहित्य अकादमी अवार्ड २०१२ के लेल चुनल गेल छलनि। इ  पुरस्कार हुनक आत्मकथा पर आधारित पुस्तक ‘किस्त किस्त जीवन’ के लेल भेटल छनि। पुस्तक सामजिक बुराइ और पिछड़ापनक कारण हुनक अनुभव पर लिखल गेल अछि

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डा० शेफालिका वर्मा मूलत: सहरसा जिला के छथि, हिनकर जन्म मधेपुरा के विद्यापुरी मोहल्ले मे भेल छनि। बचपने सँ साहित्यिक रुचि राखय वाली डा० वर्मा के तीनटा उपन्यास सहित दर्जन भरी पुस्तक पाठक के प्रसंशा बटोइर चुकल छनि। ३००३ मे ए. एन. कॉलेज पटना सँ हिन्दी के पोस्टग्रेजुएट विभाग सँ अवकाश प्राप्त डा० वर्मा वर्तमान मे दिल्ली मे रही के साहित्यिक गतिविधि मे सक्रिय छथि।

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हिनक रचना : 'हमर घर कते हेरा गेल, 'मोनक चान सुरुज 'जिम्मेदार के, 'जीवन ललाम-लाल, 'एकटा प्रश्न, 'अहि त कहने रही, 'अर्पण, 'मै नारी हूँ, ये अपराध मेरा तो नहीं, 'आखिर क्यो, 'सत्य की खोज।

शुक्रवार, 19 जनवरी 2018

मैथिली गायक पवन नारायण के निधन मिथिला मे जूनियर उदित नारायण नाम सँ छलथि विख्यात

मिथिला धरोहर : मूलत: मधुबनी जिलाक रहिका ब्लॉक अन्तर्गत बच्छी गामक रहनिहार पवन नारायण ( Singer Pawan Narayan ) के मिथिला में जूनियर उदित नारायण नाम सँ जानल जाइत छनि। हुनक प्रारंभिक शिक्षा मधुबनी जिलाक वाटसन स्कुल में आ बीएससी आर के कॉलेज (मधुबनी) सँ भेल छनि। हिनका बच्चे सँ गीत संगीत मे बहुते रुचि छलनि, प्रारंभिक संगीतक ज्ञान हिनका अपन बाबा सँ भेंटलनि। बाद मे पवन जी मुम्बई मे गुरुदेव राज भारती सविधिवत संगीतक शिक्षा लेलनि आ प्रयागराज संगीत विद्यालय, इलाहाबाद सँ संगीत मे प्रभाकर केला। 
पवन नारायण जी एखन धरि 'चट मंगनी पट भेल बियाह, 'खुरलुच्ची, घोघ मे चान्द, 'हमर सौतीन, 'सेनुरक मोल बड्ड अनमोल सहित बहुते रास मैथिली फिल्म मे संगीत द चुकल छैथ। पवन नारायण जी गायक आ संगीतकारक अलाबा तबला आ गिटार सेहो बड़ नीक बजाबय छैथ। पवन जी मैथिली सहित नेपाली, गढ़वाली, सुरजापुरी, भोजपुरी, राजस्थानी आदि भाषा मे एक हजार सँ बेसी गाना गाबि चुकल छथि। हुनकर पहिल मैथिली गीतक अल्बम के नाम छनि 'ठहरि जाउ चंदा'।

मंगलवार, 9 जनवरी 2018

मैथिली कहानी : गोनू झा के ढ़ाकी

गोनू झा के बढ़ैत प्रतिष्ठा सँ हुनक भाय बड़ जड़ैत छला आ सगरो दुष्प्रचार करैत छला जे भाय हमरा संग अन्याय करैत छथि। बात बढ़ैत-बढ़ैत बढ़ि गेल। लोक सभ सेहो एहि झगड़ा मे यदा-कदा घी ढारथि। ताहि द्वारे बात बढ़ि के भिन्न-भिनाउज धरि आबि गेल। गोनू झा अपन भाय भोनू के ठीक सँ देखभालो करथि आ हरदम हुनकर बर-बेगरता मे ठाढ़ रहथि। ओ भोनू के बहुत बुझेबाक प्रयास केलनि जे ओ लोक के कहल मे नहि आबथि आ शांत रहथि, लोक सभ हुनका दुनू भायक बीच मे दरारि फारय चाहैत अछि, मुदा भोनू नहि मानलथि। हारि के गोनू भिन्न-भिनाउज पर राजी भेलाह

आब गौंआँ सब अलगे चालि जलय लागल। ओ भोनू के बुझेलक जे गोनू के कोन कमी छनि। हुनका तँ रोज राज-दरबार सँ किछु ने किछु भेटिते रहैत छनि। तें तों कहून जे घर मे जे धान अछि से सभटा हमरा दऽ दिअ। फेर भोनू पड़ि गेलाह गोनूक पाछू। गोनू तरे-तर सबटा भाँज-पता लगा लेलाह जे एहि काज मे के सब सह दऽ रहल अछि आ ओ के अछि जे हमरा दुनू भाय मे भिन्न-भिनाउज हेबाक नौबत आनि देलक अछि। हुनका सभ के छ्केबाक लेल आ भाय के ठीक रस्ता पर अनबाक ले गोनू एकटा प्लान बनेलनि।

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भिन्न-भिनाउज पर ओ राजी तँ छलाहे, ओ गौंआँ सभक बैसार करेलनि। दुनू भाय के अलग करेबा मे जनिका सभक भूमिका छलनि तिनका सभ के गोनू विशेष रूप सँ पंचैती मे बजेलनि आ तें जेना की आशा छल, पंच लोकनि ई निर्णय देलनि जे अहाँ घर मे उपलब्ध सभटा धान भोनू के दऽ दियौ, कारण अहाँ के कोन कमी अछि, रोज दरबार सँ किछु ने किछु भेटिते रहैत अछि। पहिने बैसार मे ओ अनुनय-विनय केलनि जे बाप-दादाक अरजल खेत सँ जे किछु धान आदि भेल अछि, से आधा-आधा बँटेबाक चाही। परन्तु ओ पंच लोकनि जे भोनू के सनकबैत रहथिन से एहि पर राजी नहि भेलखिन आ जोर देलखिन जे सभटा धान भोनू के दऽ दियौ। गोनू के ई बात उचित नहि बुझेलनि जे सभटा धान भोनू के दऽ दियै आ हमरा काल्हिये सँ बेसाह लागय। आ तें गोनू प्रस्ताव देलनि जे हमरा आँगन मे राखल ढ़ाकी सँ एक ढ़ाकी धान दऽ देल जाय आ शेष धान भोनू राखथि। भोनू के भड़कावय वला पंच एहि बात पर राजी भऽ गेलाह।

फेर की छल। लोकक सोझे मे ढ़ाकी मे धान देब शुरू कयल गेल। ढ़ाकी मे धान देल जाइक आ पता नहि ओ धान कतय चलि जाय। ढ़ाकी हरदम खालीक खाली। धान देनहार थाकि गेल परन्तु ढ़ाकी नहि भरल। लोक के आश्चर्य लगैक। अंत मे लोक सभ ढ़ाकी उठेलक तँ देखैत अछि ओकर नीचाँ मे बड़का टा खाधि। लोक सभ आश्चर्यचकित रहि गेल आ गोनू पर छल करबाक दोषारोपण करय लागल।

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गोनू बजलाह - आखिर अहाँ लोकनि भोनू के भड़काय के हमरा घर मे भिन्न-भिनाउज कराइये देल आ हमरा अपन पुरषाक अड़जल खेतक धान सँ सेहो वंचित करबाक बहुत प्रयास कयल। जँ हमचाहितौं तँ अहाँ सभक पंचैतीक मोताबिक आई एक ढ़ाकी धान लऽ सकैत छलहुँ, तथापि भोनूक कोनो हक के मारब हमर ध्येय नहि अछि।

एतबा सुनितहि भोनू गोनूक पायर पर खसि पड़ल आ भाय सँ भिन्न हेबाक विचार के तिलांजलि दऽ देलक आ ताहि दिन सँ गोनूक ढाकी पूरा मिथिलांचल मे नामी भऽ गेल।

शनिवार, 6 जनवरी 2018

आम-महुवियाह काल के गीत - मैथिली लोकगीत

१. प्रेमक डोली चढ़ि - Maithili Lokgeet

प्रेमक डोली चढ़ि चलली सिया दाइ
हे सखि आम-महु वियाहय
प्रेमक डोली चढ़ि चलली सिया दाइ
हे सखि आम-महु वियाहय
बाजन बाजय बहुत
हे सखि आम-महु वियाहय
सिन्नुर-पिठार सिया आममे लगाओल
हे सखि आम-महु वियाहय
पीयर डोरी लेपटाय
हे सखि आम-महु वियाहय

मंगलवार, 2 जनवरी 2018

मैथिली कविता : मिथिलाक__यात्रा

नमो-नमो मिथिला केर  धरती
मिथिला घुमि मन भेल हर्षित।
नमो - नमो   जनकपुर    धाम
माता    सीता    केर    प्रणाम।

ओहि   स्थान  हम  गेलहु यौ  मीता
जतय खेत  सँ  निकलनी माँ सीता।
सीतामढ़ी अछि  हिनक जन्म स्थान
इतिहास  एही  बातक  ऐछ  प्रमाण।

जतय विद्यापति केर जन्म स्थान
मधुबनी   मे  ओ   बिस्फी  गाम।
महादेव   हिनकर   चाकर   बनलैथ
उगना नाम सँ हिनका सब जनलैथ।

मधुबनी मे सौराठ सभा गाछी
एतय भेटय छै जीवन  साथी।
बेनीपट्टी  उचैठा के भगवती  स्थान
भेटलनि एतहि कालीदास के ज्ञान।

मधुबनी मे  एकटा  रांटी  गाम
मिथिला  पेंटिंग  लेल धनवान।
चित्र कला लेल प्रसिद्ध इ बस्ती
एतय कलाकारक बड़का हस्ती।

फेर  गेलो  हम   दरभंगा   जिला
देखलो कामेश्वर सिंह केर किला।
ओहि प्रांगण मे श्यामा, काली स्थान
कल   जोइर्   केर   केलहुं   प्रणाम।

फेर  गेलो बाबा कुशेश्वर  स्थान
जे मिथिलांचल केर बाबा धाम।
फूल,   बेलपत्र,  धुप  आ  बाती
कल जोरि केलहुं कोबला-पाती।

फेर    आगू    केलहुं   प्रसाथन
एलहुं हम नवादा भगवती धाम।
बड़  प्रसिद्ध  अछि  इ  सिद्ध पीठ
बेनीपुर सँ उतर-पश्चिम अवस्थित।

सावन  मे  एलहुं   हम  मुजफरपुर
गरीब नाथ बाबा एतय बड़ मसहूर।
सिमरिया  सँ  आनी   जल  चढेलहुं
हिनक दर्शन क हम गद-गद भेलहुं।

एतय सूय मंदिर आ तारा  स्थान
सहरसा जिला अछि एकर नाम।
एतय महिषी मे मंडन-भारती स्थान
बहल   जतय  शास्त्रार्थ  केर  ज्ञान।

आगू    हम     भागलपुर    एलहुं
मनसा  देवी  केर  दर्शन   केलहुं।
देखलहुं कुप्‍पा घाट, विषहरी स्‍थान
संगे जैन मंदिर,  विशेवशर  स्थान।
            यात्रा जारी अछि..........।
© प्रभाकर मिश्रा 'ढुन्नी'

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