सोमवार, 22 मार्च 2021

अहाँ सं नेह जे लगा लेलियै लिरिक्स

अहाँ सं नेह जे लगा लेलियै
अहाँ सं नेह जे लगा लेलियै
अहाँ दुश्मन किए बना लेलियै
सबके दुश्मन किए बना लेलियै
अहाँ सं नेह जे लगा लेलियै
अहाँ सं नेह जे लगा लेलियै

छल जादू के की असर कोनो
छल जादू के की असर कोनो
छल जादू के की असर कोनो
जे अपन सब किछ हेरा लेलियै
अहाँ सं नेह जे लगा लेलियै

स्वप्न में जे अबै छलै सब दिन
स्वप्न में जे अबै छलै सब दिन
स्वप्न में जे अबै छलै सब दिन
ओकरे पर सब किछ हम लुटा देलियै
ओकरे पर सब किछ हम लुटा देलियै

जेने छल हम्मर कहियो अप्पन
जेने छल हम्मर कहियो अप्पन
जेने छल हम्मर कहियो अप्पन
ओकरे संग जीवन ओझरा लेलियै
ओकरे संग जीवन ओझरा लेलियै

अहाँ सं नेह जे लगा लेलियै
अहाँ सं नेह जे लगा लेलियै
सबके दुश्मन किए बना लेलियै
सबके दुश्मन किए बना लेलियै
अहाँ सं नेह जे लगा लेलियै
अहाँ सं नेह जे लगा लेलियै

  • मैथिली फिल्म - मीत हम्मर जनम जनम के 
  • Maithili Film - Meet Hamar Janam Janam Ke Song Lyrics
  • गायक - विकास झा
  • गीतकार, संगीतकार - रानी विकास

शुक्रवार, 19 मार्च 2021

मैथिली साहित्यकार कमलकांत झा - Writer Kamalkant Jha

साल 2020 के मैथिली भाषा मे साहित्य अकादमी पुरस्कार के लेल वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. कमलकांत झा ( Litterateur Kamalkant Jha, Madhubani ) के नाम के घोषणा भेलनि अछि। इ पुरस्कार हुनका लघु कथा 'गाछ रुसल अछि' के लेल प्रदान कैल गेलनि हन। अहि रचना मे पर्यावरण के शुद्ध रखबाक लेल पेड़-पौधा के महत्व के दर्शायल गेल अछि। मधुबनी के कलुआही प्रखंड स्थित हरिपुर डीह टोल मे 29 मार्च 1943 के जन्म भेल डॉ. कमलकांत झा मैथिली के संगे हिंदी लेखन के क्षेत्र मे सेहो काज केने छथि। पिता पं. वीरेश्वर झा आ माता तारा देवी बचपने मे हिनकर संग छोइड़ देने छलखिन। अहि कारण हिनकर प्रारंभिक शिक्षा नानीगाम लोहा गांव मे भेलनि। 


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कमलकांत झा जी 1962 सं लेखन के यात्रा प्रारंभ केलथि। हिनकर पहिल पुस्तक मैथिली नाटक 'घटकैती' 1965 मे प्रकाशित भेलनि, जे बहुते लोकप्रिय भेलैन। अहि सं हुनका लेखन के क्षेत्र मे आगु बढबाक हौसला भेटलनि। एखन धरि मैथिली मे हिनकर 25 पुस्तक प्रकाशित भ चुकल अछि। अहि मे 4 टा नाटक, 2 टा कविता संग्रह, 3 टा कथा संग्रह, 2 टा यात्रा संस्मरण आ मैथिली लोकोक्ति पर तीनटा पुस्तक शामिल अछि। 

मैथिली साहित्य जगत मे हिनका मैथिली मुहावरा आ लोकोक्ति के विशेषज्ञ के रूप मे सेहो जानल जाइत छनि। डॉ. झा मैथिली के शिक्षक सेहो रह छथि। 1965 मे ओ ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के अंगीभूत इकाई डीबी कॉलेज, जयनगर मे लेक्चरर के रूप मे अपन शिक्षण यात्रा के शुरुआत केलथि। 

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1982 मे रीडर बनलाह और 1987 मे प्रोफेसर के पद पर प्रोन्नत भेलथि। एक अप्रैल 2003 के डीबी कॉलेज सं सेवानिवृत्त भेलैथ। ताहि उपरांत जयनगर मे रहिते लेखन आ सामाजिक कार्य मे सक्रिय छथि। मैथिली के अलावा ङ्क्षहदी मे सेहो हिनकर 2 टा पुस्तक प्रकाशित भ  चुक छनि। अहिमे एकटा उपन्यास 'बिखरती रही चांदनी आ एकटा शोध निबंध 'मिथिला गौरवशालिनी शामिल अछि। अंतरराष्ट्रीय मैथिली परिषद (भारत-नेपाल) के केंद्रीय अध्यक्ष सेहो छथि। RSS सं सेहो जुड़ल छैथ। वर्तमान मे मधुबनी के जिला संघ चालक छथि। 

बुधवार, 17 मार्च 2021

भारती दयाल मिथिला पेंटिंग के बनेलनी अपन पहचान, देश-विदेश मे क रह छथि मिथिलाक नाम उंच

समस्तीपुर जिलाक काशीपुर निवासी स्व. विजय कुमार सिन्हा आ श्रीमती इंदू सिंहा केर बेटी भारती दयाल ( Bharti Dayal, Mithila Painting Artist ) मिथिला पेंटिग के क्षेत्र मे अपना बुते नै केवल अपन जिलाक बल्कि सगरो मिथिलाक नाम राष्ट्रीय स्तर पर रौशन केलथि। मिथिला पेंटिंग के क्षेत्र मे पूरा देश मे नाम कमा रहली मिथिलाक अहि बेटी भारती दयाल के राष्ट्रपति सम्मान सेहो भेट चुकल छनि।


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अपन घरक देबाल पर पावैन-तिहारक अवसर पर बनाओल जाय बला चित्रकारी सं ओ एतेक प्रेरित भ गेलथि जे अहि कला के अपन कैरियर बना लेलथी।

वर्ष 2006 मे भारतक तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल भारती के मिथिला पेंटिंग के क्षेत्र मे उत्कृष्ट योगदान के लेल सम्मानित केने छलथि संगेह दिल्ली सरकार सेहो हिनका मिथिला पेंटिंग के लेल सम्मानित केने छल। भारती जतए जाइत छथि मिथिलाक संस्कृति के बढ़ाबा देबाक लेल अहि सं जुड़बाक लेल लोग के प्रेरित करैथ छथि। एखन धरि दस सं बेसी देश मे अपन पेंटिंग के प्रदर्शनी लगा चुकल छथि। भारती दयाल के केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के संग सितम्बर 2016 मे कल्चरल एम्बेसडर बैन के जेबाक सौभाग्य प्राप्त भेलनि।

बुधवार, 10 मार्च 2021

मनीगाछी प्रखंडक उजान में नीमक गाछ तर विराजय छथि छिन्नमस्तिका भगवती

मिथिला, देवी- देवताक लेल सभ सँ प्रिय स्थान रहल अछि। दरभंगा जिला के मनीगाछी प्रखंड के बङका गाम उजान के लालपुरक कलमगाछी मे माँ छिन्नमस्तिका देवी श्मशानघाट पर अवस्थित छैथि। ( Chinnamastika Bhagwati Sathan, Manigachhi, Yhan ) ई स्थान आई सँ सौ साल पहिले एतेक घनगर आ भयंकर जंगल रहय जे आदमी एहिठाम दिन में जेवा सँ डरैत छल। एहि ठाम लोक मात्र गामक कोनो सदस्य के मृत्यु के बाद ओकर दाह संस्कार के लेल अवैत छल अथवा गामक चरवाह सभ अपन माल जाल ल क झुण्ड बान्हि कऽ अवैत छल। 
एहि ठाम केर दृश्य एतेक भयावह छल जे बारह बजे दुपहरिया में लगैत छलैक जेना एहिठाम चारू कात भूत प्रेत पिशाच सभ नाचि रहल अछि। एक दिन एकटा चरवाह देखलकै जे ओकर गाय एक स्थान पर बहुत काल धरि ठाढ़ रहैक ओकरा संदेह भेलैक त लग जा क देखलकै त ओकरा अपन आँखि पर विश्वास नहि भ रहल छलैक। ओ देखलकै जे गाय के थऽन सँ दूधक धार निकलि रहल छलैक आ सभटा नीचाँ खसि रहल छलैक। ओ अपन सभ संगी के बजाओलक आ बात ग्रामीण सभ के कान में गेलैन्ह। ग्रामीण सभ आवि क ओहि स्थान पर खद्धा कोरय लगलाह त देखैत छैथि जे ओहि में सँ छिन्नमस्तिका केर मूर्ति बाहर निकलल। ई दृश्य देखि ग्रामीण अति रोमांचित भ गेलाह आ ओहि ठाम सँ जंगल झार के काटि क साफ कएलन्हि। कहल जाइत अछि जे ओहि ठाम केर एकटा गाछ के उखारवाक समय ओहि गाछक जैइर सँ अत्यधिक मात्रा में सोना चांदी हीरा जवाहरात सभ निकलय लागल। ग्रामीण लोकनि डरि गेलाह आ एहि घटनाक सूचना दरभंगा राज के देल गेलैक। ई बात समूचा क्षेत्र में आगि जकाँ पसरि गेलैक। हजारों के संख्या मे श्रद्धालु लोकनि एहि स्थान पर पहुँचय लगलाह। सोना चांदी हीरा जवाहरात सभ दरभंगा राज सँ आयल सिपाही अपना संग ल गेलाह आ एमहर ग्रामीण लोकनि ढोल बाजा पिपही सभ बजा कऽ मैया के गुणगान करय लगलाह। पूरा स्थान मेला केर रूप ल लेने छल। ग्रामीण सभ केर इच्छा भेलैन्ह जे एहि ठाम माता केर एकटा भव्य मंदिर बनाओल जाए मुदा राति में माता एकटा सुहृदय बला ग्रामीण के स्वप्न देलखिन्ह जे हमरा मन्दिर नहि चाही। हम ओहिना ठीक छी। ओ स्थान एतेक सिद्ध आ पवित्र अछि जे आइधरि माँ एहिठाम बिना मन्दिर के नीम केर गाछक तऽर में प्रतिष्ठित छैथि। एहि नीमक गाछ केर बिशेषता छैक जे एहि गाछ में कहियो पतझड़ नहिं लगैत छैक। सभ दिन गाछ हरियर कंच रहैत छैक।
एतय दुर्गा पूजा खूब धूमधाम सँ मनाओल जाइत अछि। ओहि ठामक ग्रामीण लोकनि स्पष्ट कयलाह जे पूजा में जेनेरेटर माता केर जेनरेटर माँ सौं पश्चिम दिशा में नै लगेल जै छैक जौं लगेलगेल त खराब भय जाई छैक आ एहि नीमक गाछ में जौ बौल टांगल जाई छैक त बौल नै जरै छैक।एखनो ई जगह रात्री में विरान भय जाई छैक। किम्बदन्ती छै जाहि स्त्री के संतान नै होई छैन जौं अहिठाम आवि शुद्ध आ विकल हृदय सौं देवी माँ सौं याचना करै छथि त अवश्य हुनक कोईख भैर जाई छनि।कोनो तरहक मनोरथ अहि जगह एला सौं सिद्ध होई छै।सूदूर दूर सौं भक्तगण माँ के दर्शनक लेल सदिखन अबिते रहैत छथि।

शनिवार, 6 मार्च 2021

ब्राह्मण बाबू यौ मैथिली लोग गीत लिरिक्स | Brahman Babu Yau Lyrics | Yau Aahan Brahman Babu Lyrics - Maithili Brahman Geet Lyrics

Lyrics Brahman Babu Yau Maithili Song 
● मैथिली ब्राह्मण गीत लिरिक्स ब्राह्मण बाबू यौ 

ब्राह्मण बाबू यौ कनियो कनियो होइयौ ने सहाय
ब्राह्मण बाबू यौ कनियो कनियो होइयौ ने सहाय

पहिने मंगई छी ब्राह्मण
पहिने मंगई छी ब्राह्मण
भाई भतिजवा ब्राह्मण बाबू यौ
उजड़ल नैहर दियौ ने बसाय
ब्राह्मण बाबू यौ कनियो कनियो होइयौ ने सहाय

तखने मंगई छी ब्राह्मण
तखने मंगई छी ब्राह्मण
सिर के सिंदुरवा ब्राह्मण बाबू यौ
कुमर पद दियौ ने छोड़ाय
ब्राह्मण बाबू यौ कनियो कनियो होइयौ ने सहाय

तखने मंगई छी ब्राह्मण
तखने मंगई छी ब्राह्मण
गोदी भरी बालक ब्राह्मण बाबू यौ
बाझिन पद दियौ ने छोड़ाय
ब्राह्मण बाबू यौ कनियो कनियो होइयौ ने सहाय

तखने मंगई छी ब्राह्मण
तखने मंगई छी ब्राह्मण
अन्न धन लक्ष्मी ब्राह्मण बाबू यौ
दरिद्र पद दियौ ने छोड़ाय
 ब्राह्मण बाबू यौ कनियो कनियो होइयौ ने सहाय



● यौ आहाँ ब्राह्मण बाबू लिरिक्स - Yau Aahan Brahman Babu Lyrics 

पर्वत पहाड़ पर सँऽ,
उतरल एक ब्राह्मण, यौ आहाँ ब्राह्मण बाबू,
पर्वत पहाड़ पर सँऽ,
उतरल एक ब्राह्मण, यौ आहाँ ब्राह्मण बाबू,

चलि भेला गंगा स्नान, यौ आहाँ ब्राह्मण बाबू, - 2
पर्वत पहाड़ पर सँऽ,
उतरल एक ब्राह्मण, यौ आहाँ ब्राह्मण बाबू,
चलि भेला गंगा स्नान, यौ आहाँ ब्राह्मण बाबू, - 2

कथि के खरौवाँ ब्राह्मण,
कथि के सिंहासन, यौ आहाँ ब्राह्मण बाबू,
कथि के खरौवाँ ब्राह्मण,
कथि के सिंहासन, यौ आहाँ ब्राह्मण बाबू,
कथि चढि जायब गंगा स्नान, यौ आहाँ ब्राह्मण बाबू, - 2

सोना के खरौवाँ ब्राह्मण,
रूपा के सिंहासन, यौ आहाँ ब्राह्मण बाबू,
सोना के खरौवाँ ब्राह्मण,
रूपा के सिंहासन, यौ आहाँ ब्राह्मण बाबू,
घोड़ा चढि जायब गंगा स्नान, यौ आहाँ ब्राह्मण बाबू, - 2

नहाय सोनाय ब्राह्मण,
गहबर में बैसलौं, यौ आहाँ ब्राह्मण बाबू,
नहाय सोनाय ब्राह्मण,
गहबर में बैसलौं, यौ आहाँ ब्राह्मण बाबू,
करे लगला सेवक गोहारि, यौ आहाँ ब्राह्मण बाबू, - 2

भनहि विद्यापति,
सुनू बाबू ब्राह्मण, यौ आहाँ ब्राह्मण बाबू,
भनहि विद्यापति,
सुनू बाबू ब्राह्मण, यौ आहाँ ब्राह्मण बाबू,
भनहि विद्यापति,
सुनू बाबू ब्राह्मण, यौ आहाँ ब्राह्मण बाबू,
सदाय राखब रक्षापाल, यौ आहाँ ब्राह्मण बाबू, - 2


● इनती करै छी हे ब्राह्मण लिरिक्स - विद्यापति गीत

इनती करै छी हे ब्राह्मण मिनती करै छी
मिनती करै छी हे ब्राह्मण
कल जोरि करै छी परिणाम
धरम के दुअरिया हो ब्राह्मण
दाता दीनानाथ
कल जोरि करै छी परिणाम
अहर पंछ बीतलै हो ब्राह्मण
पहर पंथ बीतलै
ब्राह्मण छथिन्ह देबता
कल जोरि करै छी परिणाम
छप्पन कोरि देबता हो ब्राह्मण
धरम के दुअरिया
कल जोरि करै छी परिणाम
छप्पन कोरि देबता हो ब्राह्मण
रोकहि छी धरम के दुआरि
गाढ़ बिपत्ति परलै हो ब्राह्मण
बानहि घुमड लगतइ
कल जोरि करै छी परिणाम
अबला जानि खेलई छी हो ब्राह्मण
दाता दीनानाथ कल जोरी करै छी परिणाम
हँसइ खेलाबह हो ब्राह्मण, खैलालै चौपाड़ि
कल जोरि करै छी परिणाम
सुमिरन केलमै हो दाता दीनानाथ


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मंगलवार, 2 मार्च 2021

मानिनि आब उचित नहि मान | विद्यापति

मानिनि आब उचित नहि मान।
एखनुक रंग एहन सन लागय जागल पए पंचबान॥
जूडि रयनि चकमक करन चांदनि एहन समय नहि आन।
एहि अवसर पिय मिलन जेहन सुख जकाहि होय से जान॥
रभसि रभसि अलि बिलसि-बिलसि कलि करय मधु पान।
अपन-अपन पहु सबहु जेमाओल भूखल तुऊ जजमान॥
त्रिबलि तरंग सितासित संगम उरज सम्भु निरमान।
आरति पति मंगइछ परति ग्रह करु धनि सरबस दान॥
दीप-बाति सम भिर न रहम मन दिढ करु अपन गेयान।
संचित मदन बेदन अति दारुन विद्यापति कवि भान॥

रचनाकार - विद्यापति

सोमवार, 1 मार्च 2021

बाबा मुक्तेश्वरनाथ धाम मिथिलाक प्रसिद्ध, ऐतिहासिक, पुरातत्त्विक धार्मिक तीर्थ-स्थल

भगवान शिव के समर्पित बाबा मुक्तेश्वर नाथ धाम ( Mukteshwar Nath Mandir ) मधुबनी जिलाक अन्तर्गत्त अंधराठाढ़ी प्रखंड के देवहार (बिदुलिया) ग्राम मे स्थित अछि मिथिला मे ओना त बहुते महत्त्वपूर्ण स्थान अछि जे इतिहासकार तथा पुरातत्त्वविद द्वारा बिल्कुल उपेक्षित अछि मुदा ओहि स्थल के विषय मे प्रचलित कथानक परम्परा आ लोकमान्यता ओकर अतीत के उजागर करैत अछि। मुक्तेश्वर नाथ महादेव मन्दिर जे कि मुक्तेश्वर स्थान के नाम सं प्रसिद्ध अछि एकटा बरका ऐतिहासिक आ पुरातत्त्विक धार्मिक स्थल अछि।

एना मानल जाइत अछि जे की मुक्तेश्वर स्थान सं जतय एक दिस मिथिला के प्रसिद्द पंजी प्रथा जुरल अछि ओतय दोसर दिस पुरातत्त्विक महत्त्व के अनेकानेक कलाकृति सेहो शोधार्थि के अपना दिस आकृष्ट क रहल अछि महामहोपाध्याय परमेश्वर झा अपन प्रसिद्द पुस्तक “मिथिलातत्त्व विमर्श” मे देवहार ग्राम स्थित मुक्तेश्वर नाथ महादेव मंदिर, मुक्तेश्वर स्थान के उल्लेख करैत एकरा मिथिलाक  पंजी प्रबन्ध सं संबद्ध मानने छथि।

हिनकर अनुसार सतघरा ग्राम जे कि मुक्तेश्वर स्थान सं करीब एक कि०लो० पश्चिमोत्तर मे अछि ओतय गंगौर मूल के ब्राह्मण हरिनाथ शर्मा रछैत छलथि। हरिनाथ शर्मा बहुते प्रसिद्ध, दार्शनिक एवं स्मृति रचिता छलथि हुनकर पत्नी प्रतिदिन देवहार ग्राम मे स्थित बाबा मुक्तेश्वर नाथ महादेव के दर्शनार्थ जैल करैत छलथि। एक दिन गांव मे अफवाह पसैर गेल जे एकटा चंडाल मंदिर मे जा क उक्त ब्राह्मणी के सतीत्त्व के भग्न क देलक मुदा ओहि स्त्री के कहब छलनी जे ओ चंडाल मंदिर मे आयल मुदा एकटा साँप ओकरा डैस लेलक और ओ मैर गेल और हम पवित्र छी।

कथन पर विश्वास नै क समाजक लोग निर्णय लेलक जे हिनक सतीत्त्व के परीक्षा लेल जाय। अहि परीक्षा मे धर्माध्यक्ष पंडित पीपर'क पत्ता पर हाथ मे आगिक गोला द क “नाहं चांडाल गामिनी” लिख क ओहि स्त्री के तलहत्थी पर राखल गेल मुदा स्त्री के तलहत्थी जरय लागल जाहिसं पुनः लोग ओकरा पापिन कहनाय शुरू क देलक परंतु ओ स्त्री अपना उपर लगायल गेल गलत आरोप सं छुटकारा पेबाक हेतु राजदरबार मे गुहार लगेलनी। प्रधान धर्माधित रानी अपन समक्ष पुनः ओहि स्त्री के हाथ मे पीपरक  पत्ता पर आगिक गोला रखबाक व्यवस्था केलक मुदा अहि बेरा “नाहं स्वपति व्यतिरिक्त चांडाल गामिनी” लिखल गेल अहि बेरा हाथ नै जरल फलतः हुनका निर्दोष साबित कैल गेल। एहन मानल जाइत अछि जे मुक्तेश्वर नाथ मंदिर के निर्माण लगभग २०० वर्ष पूर्व भेल छल। पुरातत्त्विक दृष्टि सं मुक्तेश्वर स्थान एकटा बरका महत्त्वपूर्ण स्थल अछि। एतय के शिवलिंग बहुते ही अनोखगर अछि। किछ दशक पूर्व एकटा सन्यासी द्वारा अहिके खुदाईक काज कैल गेल छल त देखलथि जे इ शिवलिंग नीच्चा जेबा पर अत्यंत मोट आ विशाल होइत गेल जाहिसं खुदाईक काम बंद क पुनः भरी पूजा योग्य बना देल गेल। शिवलिंग के देखला सं लागैत अछि जे इ गुप्त कालीन अछि। मिट्टी खुदाईक दौरान एकटा अत्यंत सुन्दर गणेश एवं पार्वती केर प्रतिमा सेहो भेटल जे पार्वती मंदिर मे अखनो स्थापित अछि।