बुधवार, 12 मई 2021

उपनयन संस्कार लोकगीत | उपनेन गीत, मैथिली जनेऊ गीत लिरिक्स | Janeu Geet Lyrics in Hindi

Maithili Upnayan Geet Lyrics - मैथिली उपनयन गीत लिरिक्स  - उपनयन के गीत Lyrics Maithili

1. घर जगजननी | उपनेन मैथिली लोकगीत | भगवती गीत

घर जगजननी बाहर जगजननी
अहीं तऽ प्राणक आधार जगजननी
कोने फूल ओढ़न मा के
कोने फूल पहिरन
कोने फूल गांथू ग्रीमोहार जगजननी
अहीं तऽ प्राणक आधार जगजननी
बेली फूल ओढ़न मा के
चमेली फूल पहिरन
अड़हुल फूल गांथू ग्रीमोहार जगजननी
अहीं तऽ प्राणक आधार जगजननी
कल जोड़ि मिनती करै छी हम हे
मंगै छी कृपा तोहार जगजननी
अन - धन दिअ मां हे
और गोदीमे पुत्र दीअ
मांगी हम सींथक सोहाग जगजननी
अहीं तऽ प्राणक आधार जगजननी


2. भगवती होइअठ ने सहाय | उपनेन मैथिली लोकगीत | भगवती गीत
भगवती होइअठ ने सहाय
हम तऽ अबला नारी ना
पहिल फल मांगब मा हे
भाय रे भतीजबा
हम तऽ मंगबे करबै ना
दोसर फल मांगब मा हे
सासु रे ससुरबा
हम तऽ मंगबे करबै ना
तेसर फल मांगब मा हे
सिर के सिन्दुरबा
हम तऽ मंगबे करबै ना
चारिम फल मांगब मा हे
गोदी भरि पुत्र
हम तऽ मंगबे करबै ना
भगवती होइअउ ने सहाय
हम तऽ मंगबे करबै ना


3. कौने बाबा इहो बाँस रोपल | उपनेन मैथिली लोकगीत | बाँसकट्टी गीत
कौने बाबा इहो बाँस रोपल
ओ जे बाँस कोपड़ छोरू हे
कौने दाइ सोइरी घर सेवल
ओ जे पुत्र फल पाओल हे
अपन बाबा ईहो बाँस रोपल
कोंपड़ छोड़ल हे
अइहब दाइ सोइरी घर सेवल
पुत्र फल पाओल हे
युगे-युगे जीबऽ तोँ हे बरूआ
आब वंश बढ़ल हे

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4. लाल पीयर एक मांड़ब | उपनेन मैथिली लोकगीत
लाल पीयर एक मांड़ब
ओ जे हरियर रंग भरू हे
ताहि मांड़ब बैसलाह बड़का बाबा
जाँ जोड़ि अइहब आमा हे
गोदी भए बैसलाह प्रत्यूष बरुआ
बाबा लाल जनउआ दीअ हे
बाबा पीयर जनउआ हे 


5. सोना के खड़ाम चढ़ि | उपनयन मैथिली लोकगीत |
सोना के खड़ाम चढ़ि आयल बरुआ
ओ जे राति नगर बुलि हे
ओ जे नगरक लोक सभे सूतल
केओ नहि जागल हे
जागल मे जागल अपन बाबा
ओ जे सुदीन जनउआ दीयऽ हे
रहू बाबू रहू बाबू अपन बरुआ
ओ जे सुदीन जनउआ देब हे
घरही मे नोतब गोसाउनि मैया
स्वर्ग पीतर सब हे
गंगा मे नोतब गंगा मैया
घर बरुआ हैत तखन जनउआ देब हे


6. दुअरे सऽ मड़बा निरेखथि | उपनयन मैथिली लोकगीत |
दुअरे सऽ मड़बा निरेखथि, ओ जे अपन बाबा हे
आजु मनोरथ पूरि गेल, मोरा घर जग होयत हे
हाथी चढ़ि आओत देवलोक, आओर पितर लोक हे
डोली चढ़ि अओतीह ऐहब दाइ, ओ जे आब मंगल होयत हे
मंड़बहि घुमथिन फल्लां बरुआ, ओ जे पोथी नेने पंडित लोक हे
हाथी चढ़ि अओताह अपन बाबा, डोली चढ़ि ऐहब आमा हे
रथ चढ़ि अओताह पितर लोक, आब मड़बा सोहाओन लागू हे
मड़बहि बैसलीह अपन दाइ, जांघ चढ़ि फल्लां बरुआ हे
पंडित पोथी उचारल, आब मोन हर्षित हे
सखि सब मंगल गाबथि, पंडित होम करू हे
देव पीतर आशीष देथि कि जुग जुग जीबथु सत्यम बरुआ हे

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7. कौने बाबा जयता आनन्द वन | उपनयन मैथिली लोकगीत |
कौने बाबा जयता आनन्द वन, ओ जे लयता सोना के चरखा हे
कोन-कोन दाइ कटती मेही सूत, कोने बाबू होयता ब्राह्मण हे
अपनबाबा जयता आनन्द वन, ओ जे लयता चरखा हे
अपन दाइ मे ही सूत काटती, ओ जे फल्लां बरुआ होयता ब्राह्मण हे


8. नदीया के तीरे-तीरे गछुलिया | उपनयन मैथिली लोकगीत |
नदीया के तीरे-तीरे गछुलिया, फले फूले माँतल हे
ताहि तर ठाढ़ भेल अपन बाबा, हकन्न कानय हे
कथीय लय नोतब देव लोक, कथीय लय दियादनी लोक हे
कथीय लय रूसल अपन बहिनी, ओ जे मरबो न सोभय हे
धान लय नोतब देवलोक, सिन्दुर लय दीयादनी हे
दान लय नोतब अपन बहिनी, मरबा जे सोभय हे


9. नदीया के तीरे बहेलिया | उपनयन मैथिली लोकगीत |
नदीया के तीरे बहेलिया की हरियर पात भेल हे
आहे, ताहि तर ठाढ़ि भेल बाबा तीर धनुष लेने हे
आइ मृगा हम मारब, मृगा छाल चाहीय हे
आहे, आइ साही मारब, साही काँट चाहीय हे
सभा बैसल अहाँ दाइ, स्वामी सँ विनती करू हे
आहे, आइ मृगा जुनि मारीय, मृगा हकन्न कनै हे
आहे, आइ साही नहि मारीय, साही हकन्न कनै हे


10. कोेने बाबा इहो मत देलनि | उपनयन मैथिली लोकगीत 
कोेने बाबा इहो मत देलनि, ओ जे चित्र उड़ेहल हे
कोने दाइ खोइछा पुरैनी पात, ओ जे बरुआ हेता ब्राह्मण हे
बड़का बाबा इहो मत देलनि, ओ जे चित्र उड़ेहल हे
अपन दाइ खोइछा पुरैनी पात, ओ जे बरुआ हेता ब्राह्मण हे
मरबलि बैसल अपन बाबा, ओ जे संग अइहब दाइ हे
कोरा लय बैसल अपन बरुआ, सुदीन जनौआ दीहऽ हे


11. दशरथ के चारो ललनवा | उपनयन मैथिली लोकगीत 
दशरथ के चारो ललनवा मण्डप पर शोभे दशरथ के चारो ललनवा मण्डप पर शोभे ..... 
कहां शोभे मुंज के डोरी , कहां शोभे मृग के छाला 
कहां शोभे पियरी जनौवा , 
मंडप पर शोभे दशरथ के चारो ललनवा मण्डप पर शोभे ........ 
हाथ शोभे मुंज के डोरी , कमर मृग छाला देह शोभे पियरी जनौवा , मंडप पर शोभे दशरथ के चारो ललनवा मण्डप पर शोभे 


12. आंग उघारल झिल्ली झारल | उपनयन मैथिली लोकगीत 
आंग उघारल झिल्ली झारल
हिरदय लागल कसाय
के पुछलक रे बरुआ, के तोरा कूटल कसाय
अपन बाबा ऐहब आमा, पिउसि कूटल कसाय
एक कोस गेला बाबू दुइ कोस गेला
तेसरे मे मन पछताय
घूरि घर जइतहुँ आमा गोर लगितहुँ
आमा सँ
आमा सऽ लीतहुँ आशीर्वाद
दीअ हे आमा आशीष दीअ
बाबा दीअ जनउआ पहिराय 


13. आमा हे तोहें फला आमा | उपनयन मैथिली लोकगीत 

आमा हे तोहें फला आमा, ओ जे जनकपुर मे नोत दीअ हे
जनकपुरसँ एती सीता दाइ ओ जे कटती जनउआ सूत हे
बाबा हे तोहे फलां बाबा हे, ओ जे अयोध्या मे नोत दीअ हे
अयोध्यासँ एता श्रीराम ओ जे पढ़यता जनउआ मंत्र हे
जीवन जन्म सफल भेल, अंगना मांड़ब भेल हे
घूरि फीरि अबथिन फल्लां बाबा, ओ जे मड़बा निरेखथि हे
धन्य जीवन थिक फल्लां बाबी, ओ जे जनि कुल पुत्र भेल हे
ब्राह्मण एता आजु फलां बरुआ, आंगन सोहाओन लागय हे
जन्म सफल भेल, ओ जे फल्लां बरुआ ब्राह्मण हएता हे


14. आगे माइ डंड-कमण्डल | उपनयन मैथिली लोकगीत 
आगे माइ डंड-कमण्डल बरुआ के गले मृगछाल
आगे माइ झोरा नेने फल्लां बरुआ मड़बहि ठाढ़
आगे माइ कहां गेली किए भेली आमा सोहागिन
हम भिखियरि लेल छी ठाढ़
आगे माइ के तोंहे थिकह, कौने देशक, कीए थिकहु तोर नाम
आगे माइ हम त छी आमा अहीं केर पुत्र, तपसी के लागल पियास
आगे माइ पहिल भीख आंचर झांपि आमा अपन देलखिन
कान कुण्डल गरा सोन
आगे माइ भनहि विद्यापति सुनू हे तपसी जुग जुग जीबथु कुल पुत्र

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15. नहाय सोनाय बरुआ मड़बा पर ठाढ़ | उपनयन मैथिली लोकगीत 
नहाय सोनाय बरुआ मड़बा पर ठाढ़
कहाँ सोभय पीयर धोती, कहाँ फुलहार
डांड़ शोभय पीयर धोती, गले फुलहार
कहाँ शोभय पीयर जनउआ, कहाँ मृगछाल
कान्ह शोभय पीयर जनउआ, गले मृगछाल
आगे माइ पहीरि ओढ़िय बरुआ मड़बा पर ठाढ़
आगे माइ आशीष देथु बरुआ के कुल परिवार


16. मड़बहि बैसलाह बाबा | जनेऊ देबय काल के गीत 
मड़बहि बैसलाह बाबा, कि जांघ जोड़ि ऐहब बाबी हे
कोरा भय बैसला बरुआ, कि बाबा जनउ दियऽ हे
रहू बाबू रहू बाबू बरुआ, कि लाल जनउ देब हे
मरबहि घृत ढ़रकि गेल, स्वर्गहि इजोत भेल हे
स्वर्गक पीतर आनन्द भेल, आब कुल बढ़ल हे
समुआं बैसल तोहें बाबा, कि पुत्रसँ पुतोहु हैत हे
करमीक लत्ती जकाँ लतरल, पुरैन जकाँ पसरत हे
आमक गाछ जकाँ मजरत, महु जकाँ लुबुधत हे


17. लाल-पीयर केर माड़ब | जनेउ गीत
लाल-पीयर केर माड़ब
पाने-पत्र छारल हे
ताहि माड़ब बैसला बाबा
कि ऐहब दादी हे
कोरा भय बैसला बरुआ
कि लाल जनउ दिअ हे
रहू बाबू रहू बाबू बरुआ,
कि लाल जनउ देब हे
आइ होयब अहाँ ब्राह्मण
कि पियर जनौआ देब हे


18. मरबा पर बैसल छथि बरुआ | भिखक गीत
मरबा पर बैसल छथि बरुआ भिखारी बैन क
बरुआ भिखारी बैन क, बरुआ भिखारी बैन क
मरबा पर बैसल...
बरुआ के दादी भीख लेने ठार छथि
भीखो नै लै छथि बरुआ ,भिखारी बैन क
मरबा पर बैसल छथि...
बरुआ के नानी भीख लेने ठार छथि
सोना के चेन मंगै छथि बरुआ भिखारी बैन क
मरबा पर बैसल...
बरुआ के अम्मा भीख लेने ठार छथि
भीख में मधुर मंगै छथि बरुआ भिखारी बैन क
मरबा पर बैसल...
बरुआ के फुआ भीख लेने ठार छथि
भीखो संग आशीष मंगै छथि बरुआ ,भिखारी बैन क
मरबा पर बैसल....

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