बुधवार, 26 फ़रवरी 2014

बाबा भूतनाथ मंदिर : महिनाम-पोहद्दी, बेनीपुर

मिथिला धरोहर, प्रभाकर मिश्रा, दरभंगा, बेनीपुर : क्षेत्र के महिनाम-पोहद्द गांव स्थित कमला नदी के तट पर दू सौ वर्ष पुरानका बाबा सिद्धेश्वरनाथ मंदिर मे सावन'क प्रत्येक सोमवार के रूद्राभिषेक होइत अछि ( Baba BhutNath Mandir, Mahinam Pohaddi, Benipur )। मंदिरक स्थापना दू सौ वर्ष पूर्व जोगियारा स्टेटक मालिक ललित प्रसाद के वंशज केने छलाह। एकर रखरखाव के लेल १७ बीघा जमीन दान मे देने छलाह। इ अखनो मंदिर के संपत्ति अछि।
बुजुर्ग सबक कहबा अछि जे मंदिर मे माघी पूर्णिमा, कार्तिक पूर्णिमा, शिवरात्री आ सावन मे बाबा भूतनाथ के विशेष पूजा कैल जाइत अछि। ओय अवसर पर एतय मेलो लागैत अछि। शिवलिंग वाल इ मंदिर मे जे भक्त निक मुन सँ बाबा भूतनाथ के पूजा करैत अछि, ओकर मनोकामना अवश्य पूर होइत अछि। मंदिर के स्थापना के बाद एकर देखरेख सीताराम दास बाबा करैत छलाह। हुनकर देहांत भेला के बाद सँ एकर देखरेख चित्रकूट के महात्मा तपस्वी सरकार द्वारा कैल जा रहल अछि। तपस्वी सरकार द्वारा मंदिर प्रांगण मे बहुते विकासात्मक कार्य मे महिनाम, पोहद्दी सजनपुरा आ कटवासा गांम के लोग बहुते सहयोग क रहल अछि।
बाबा भूतनाथ मंदिरक संबंध मे पूर्व विधायक महेंद्र झा आजाद कहैत छथि जे जय जगह पर मंदिर के स्थापना भेल छल ओतय पहिले शमशान घाट छल। बाबा सिद्धेश्वरनाथ मंदिर के स्थापना के बाद एही मंदिर के नाम बाबा भूतनाथ मंदिर भ गेल। अय मंदिर के पर्यटक स्थलक रूप मे घोषित करवाक लेल धार्मिक न्यास बोर्ड के अध्यक्ष किशोर कुणाल द्वारा चयन क लेल गेल अछि। इ प्रस्ताव अखन सरकार लंग अछि।

मंगलवार, 25 फ़रवरी 2014

मिथिला क पावनि-तिहार : 2014

मिथिला क पावनि-तिहार : फरवरी 2014 सँ जुलाई 2014 तक।
महाशिवरात्रि : 27 फरवरी
पूर्णिमा/होलिका दहन (फगुआ) : 16 मार्च
होली : 17 मार्च
रामनवमी : 8 अप्रैल
Mesha Sankranti (सतुआ पावनी) 14 अप्रैल
जुरिसितल : 15 अप्रैल
अक्षय तृतीया : 2 मई
माँ जानकी नमी : 8 मई
वट सावित्री : 28 मई
हरी सायन एकादशी : 8 जुलाई
गुरु पुर्णिमा : 12 जुलाई

सोमवार, 24 फ़रवरी 2014

हरा गेल : Maithili Kavita

हरा गेल अछि पहिलुका सान
गाछक लागल मालदह आम
दही चुरा संग लोंगिया मिर्चाय
मिथिलाक माछ, पान, मखान।

हरा गेल अछि ललका पाग
मरुआ रोटी संग गोटक साग
संस्कार अपन हरा गेल अछि
केना होयत एकादसी जाग।

हरा गेल अंगना दुआइर
सुखा गेल कमला आ धार
हैण्ड पम्प आ नलका लागल
भरा गेल सब पोखरी इनार।

हरा गेल अछि फुइसक घर
पहिलुका बला कनिया आ बर
कोजगरा मे मखानक खगता
चूल्हा पर बनल माछक झोर।

सुन भेल अछि गामक जतरा
धिया पुता संग कनिया पूतरा
चौरचन पाबनिक दैलपूरी
भाई - बहिनक भरदुतीय।

हरा गेल चार'क कुमहर
संगे संग गामक कुम्हार
भार भरीया महफा हरायल
हरागेल गामक परिवार।

कतय हरायल माथक टिक
ढही गेल अछि माटिक भीत
धर्म कर्म आ गोत्र हरायल
के गाओत गोसोउनिक गीत।

हरागेल अछि मैथिली बोली
जलखई, कलौंह - तिमन, सोहारी
बिलागेल खेतक संग हरबाहा
गाय महिस चराबइत चरबाहा।

हरागेल अगना सँ तुलशीचौरा
सुन अछि माँ, दादी के कोरा
कतए हरायल गामक पनचैती
ढही गेल कोठी तौरक गोरा।

कतए हरायल बिध-बिधकरी
केना होयत आब बिध वेबहार
के करत आंगना म अरिपन
केना करब पावनि-तिहार

हरागेल मिथिला के चित्र
डेगे-डेग पर मिथिला विभित्र
मैथिली बाजय में लाज लागय अछि
हाल एखन अछि बड़ विचित्र।

हरागेल गेल सिलौट आ जांत
बेटी-पुतौहकऽ उघार अछि माथ
फैशन के चक्कर मे परल
आब के कूटत उक्खैर-समांठ।

हरागेल बुजुर्ग के मान-सम्मान
माय-बाबु के आदर-प्रणाम
गांम छोइर शहर में बसला
सुन अछि मिथिला के गाम।

हरागेल अछि पियर धोती
पुर्हित-पंडित  पत्रा-पोथी
पूजा पाठ केना के होयत
के गांथत आब टुटल मोती।

हरागेल अछि मधुर सन बोली
धिया-पुता के आँखी-मिचोली
व्यस्त छैथ सब अपन काज में
के खेलत आब गामक होली।

हरा गेल गांम-घरकऽ सिंगार
लुप्त भऽ रहल पोखैर-इनार
बचल-खुचल बाढ़ी लऽ गेल
फऽसल नैईया बिचे मझदार।

हरा गेल अछि गामक किर्तन
कोनियाँ-मौनी, माटिक बरतन
मिथिला के धरोहर अछि इ सब
मोन राखब बात इ सदिखन।

© साभार : प्रभाकर मिश्रा

Wrong नम्बर : मैथिलि चुटकुला Maithili Joke

1. एक दिन प्रभाकर क एकटा अनजान नम्बर सँ फोन एल।
फोन पर लड़की छल : जे बाजल, हेलो अंहा कुवार छि।
प्रभाकर : हँ, मुदा अंहा के बाजय छि ?
लड़की : हम अंहा क बीबी बाजैय छि। आय घर आउ तहन बतैव।
कनी काल बाद प्रभाकर क फेर एकटा अनजान नम्बर सँ फोन एल।
फेर सँ एकटा लड़की छल जे बाजल : अंहा की शादीसुदा छि ?
प्रभाकर : हँ, मुदा अंहा के।
लड़की : अंहा क गर्लफ्रेंड, धोकेबाज।
प्रभाकर : सॉरी बेबी, हमरा लागल हमर बीबी छि।
लड़की : बीबीये छि, आय कनी घर आबू फेर बतावै छि।


2. एकटा तोता एगो कार सँ टकरा गेल। त कार वला ओकरा उठा क पिजरा म डैल देलक। दोसर दिन जहन तोता क  होश एल, त ओ बाजल, आईला ! जेल कार वला मैर गेलय की।


3. बाप (बेटा सँ) - देख बेटा, जुआ नय खेलवा चाही। इ एहन आदत छिय्य जय म आय जितमे त दोसर दिन हारमे, परसु जितमे ओकरा अगिला दिन हारमे।
बेटा - बस पिताजी  हम बुझी गेलो आगू सँ हम एक दिन छोइर क खेलब।

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4. एकटा छात्र गणितक अध्यापक सँ कहलक : सर अंग्रेजी क अध्यापक अंग्रेजी म बात करैय य। अंहा गणित म बात किया नय करैय छि ?
अध्यापक : जादा तिन पाँच नय कर, फौरन नौ दू ग्यारह भ जो, नय त चैर पाँच रैख देबौ तहन छटी क दूध याद आबि जेतो।


5. प्रेमिका (प्रेमी सँ) : अंहा हमरा सँ बहुते प्रेम करै छि।
प्रेमी : हाँ
प्रेमिका : अगर हम मैर जैव त अंहा कानवै ?
प्रेमी : बहुते, बहुते।
प्रेमिका : कनी कैन क देखाबू न।
प्रेमी : पहिले कनी मैर क देखाबू न।

रविवार, 23 फ़रवरी 2014

विद्यापति ठाकुर : भारतीय साहित्यक महान कवि परिचय

श्री विद्यापति केर पूरा नाम विद्यापति ठाकुर छनि ( Mahakavi Kokil Vidyapati Thakur ) आ दोसर नाम महाकवि कोकिल। जन्म सन् 1370 सँ 1380 के मध्य। जन्म भूमि बिसपी गाँव, मधुबनी । मृत्यु सन् 1450 सँ 1460 के मध्य। अविभावक श्री गणपति ठाकुर आउर श्रीमती हाँसिनी देवी।

श्री विद्यापति भारतीय साहित्यक भक्ति परंमपराक प्रमुख स्तंभ मे सँ एक आ  मैथिली के सर्वोपरि कवि केर रूप मे जानल जाइत छथि। हिनक काव्य मे मध्यकालीन मैथिली भाषाक स्वरुपक दर्शन कैल जा सकैत अछि। हिनका वैष्णव और शिव (उगना) भक्तिक सेतु के रुप मे स्वीकार कैल गेल छनि। मिथिलाके लोग के 'देसिल बयना सब जन मिट्ठा' के सूत्र दऽ उत्तरी-बिहार मे लोकभाषाक जनचेतनाक जीवित करैय के महती प्रयास केलथी।
विद्यापति जी संस्कृत, मैथिली आ अवहट्ट, प्राकृत और देशी भाषा मे चरित काव्‍य और गीति पद केने छथि। श्री विद्यापति जी के काव्‍य मे वीर, श्रृंगार, भक्ति के संगे-संग गीति प्रधानता भेटय अछि। विद्यापति केर यैह गीतात्‍मकता हुनका आन कवि सँ भिन्‍न करैत छनि। जनश्रुति के अनुसार जेखन चैतन्‍य महाप्रभू हिनकर पद के गाबय छलैथ, तऽ महाप्रभु गाबैत गाबैत बेहोश भऽ जाइत छलथि। भा‍रतीय काव्‍य आ सांस्‍कृतिक परिवेश मे गीतिकाव्‍य के बड़ महत्‍व अछि, विद्यापति जी के काव्‍यात्‍मक विविधता हुनकर विशेषता अछि।

मिथिलाक लोकव्यवहार मे गावै वला गीत मे एखनो श्री विद्यापति केर श्रृंगार और भक्ति रस मे पगी रचना जीवित अछि। पदावली आ कीर्तिलता हिनक अमर रचना अछि।
जय जय भैरवी … शायद ही किओ मैथिली भाषा क्षेत्र के एहन व्यक्ति हैत जिनका जिह्वा पर इ गीत नै होय।

किछ प्रमुख रचना :-
पुरुष परीक्षा, भूपरिक्रमा, कीर्तिलता, कीर्ति पताका, गोरक्ष विजय, मणिमंजरा नाटिका, गंगावाक्यावली, दानवाक्यावली, वर्षकृत्य, दुर्गाभक्तितरंगिणी, शैवसर्वस्वसार, गयापत्तालक, विभागसार आदि।
विद्यापति के किछ रचना आ नचारी




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