गुरुवार, 8 अक्टूबर 2020

भैया मिथिलाके मान आसमान चढ़ि गेल लिरिक्स Bhaiya Mithilake Maan Aasmaan Lyrics

दियमान बढ़ि गेल / 

भैया मिथिलाके मान आसमान चढ़ि गेल
अहाँ मैथिल छी, बुझू दियमान बढ़ि गेल
जगदम्बा धिया मिथिला के
भू-तनया जनक नृप अंगना
जगबंदित जगत केर मालिक
से रामे हमर छथि पहुना
संतोषक महासागर हम
कनिन्जेमे काटब दिन कहुना
बिनु मंगनहि अयाचीक गुमान रहि गेल
अहाँ मैथिल छी...

सिरमामे जनिक गिरिराजे
नूआ छन्हि सुरसरि गंगा
पच्छिमे बुद्धक उपवन
पूरममे पावन बंगा
आँचर कोशी केर धारा
एतऽ भोरक सुरूज सतरंगा
देखु मिथिलाकेर मुरूत महान वनि गेल।
अहाँ मैथिल छी...

स्वर्गक मधुवन ई मिथिला
अनुरागक बहइछ सरिता
विद्याक भारती आगरि
ओहो मिथिले केर बनिता
शिव-शंभु बनल छथि उगना
सुनि कवि कोकिल केर कविता
ऐठाँ घर-घर पिकबैनीके तान भरि गेल
अहाँ मैथिल छी, बुझू दियमान बढ़ि गेल।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

अपन रचनात्मक सुझाव निक या बेजाय जरुर लिखू !