भोर / चन्द्रमणि
सोनक कटोरामे घोरल सेनुर सन
उगलै सुरूज भोरे भोर।
भावक कमलकें पवन दुलराबै
मनमे उठल हिलकोर।
बाबा उठओलनि भावसँ पराती
झूमि-झूमि मइयां गाबय नचारी
गुन-गुन-गुन भमरा सेहो गुनगुनायल
सूतल सरोज राग सुनि कुनमुनायल
सपना टूटैत दूर भेलै सजनमा
विरहनिकें आँख भरि नोर...। भावक...
काँव-काँव कय कउआ पड़ायल खेत पर
बगुला भगत बैसिगेलै कछेर पर
आँखि-पाँखि बगड़ाके नाँचै दु-फेर पर
सोन सनक बेटा लोढ़ायल छै रेत पर
अलसायलि भकुआयलि झुण्ड ग्रामबाला
रूनझुन करैत चललि शोर...। भावक...
कनहा पर पालो चलल हरबाहा
ठेका महीसक फोलल चरबाहा
निहुरि-निहुरि आँगन बहारै बहुरिया
कुहरि-कुहरि चुलहा पजारै छै बुढ़िया
दुबकल अन्हारक डरे कनटिरबा
किलकै छै माय केर कोर...। भावक...
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