शुक्रवार, 14 मार्च 2025

सोनक कटोरामे घोरल सेनुर सन लिरिक्स

भोर / चन्द्रमणि
 
सोनक कटोरामे घोरल सेनुर सन
उगलै सुरूज भोरे भोर।
भावक कमलकें पवन दुलराबै
मनमे उठल हिलकोर।

बाबा उठओलनि भावसँ पराती
झूमि-झूमि मइयां गाबय नचारी
गुन-गुन-गुन भमरा सेहो गुनगुनायल
सूतल सरोज राग सुनि कुनमुनायल
सपना टूटैत दूर भेलै सजनमा
विरहनिकें आँख भरि नोर...। भावक...

काँव-काँव कय कउआ पड़ायल खेत पर
बगुला भगत बैसिगेलै कछेर पर
आँखि-पाँखि बगड़ाके नाँचै दु-फेर पर
सोन सनक बेटा लोढ़ायल छै रेत पर
अलसायलि भकुआयलि झुण्ड ग्रामबाला
रूनझुन करैत चललि शोर...। भावक...

कनहा पर पालो चलल हरबाहा
ठेका महीसक फोलल चरबाहा
निहुरि-निहुरि आँगन बहारै बहुरिया
कुहरि-कुहरि चुलहा पजारै छै बुढ़िया
दुबकल अन्हारक डरे कनटिरबा
किलकै छै माय केर कोर...। भावक...

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

अपन रचनात्मक सुझाव निक या बेजाय जरुर लिखू !