मिथिला धरोहर : जखन गोनू झा बृद्ध पिताक देहांत भऽ गेलनि तऽ गौंआँ लोकनि के प्रसन्नता भेलनि जे एकटा दमगर भोज पैर लागत। साराझप्पीक बाद गौंआँ सभ गोनू झाक दलान पर जुमैत गेलाह आ हुनक पिताक महानताक बखान करैत वृषोरत्सर्ग श्राद्धक संग असिद्ध भोज करबाक सुझाब देबय लगलथिन। बेर बेर असिद्ध भोजक आग्रह करैत देखि गोनू झा कहलखिन जे ओना तऽ हमरा पैसा कौरी के अभाव अछि, मुदा हम प्रयास करब आ अहाँ लोकनिके इच्छाक पूर्ति करबाक चेष्टा करब।मुदा गौंआँ सभ एके ठाम कहि देलखिन जे पाइ बिना ककरो श्राद्ध कतहु पड़ल रहलैक यै। सऽर समाज आखिर कोन दिन लेल रहैत छैक।अहाँ मात्र हँ कहि दियौ। सभ वस्तुक प्रबंध भऽ जैयतक। गोनू झा देखलनि जे इ सभ नहि मानत। मधुरक भोज गछबाइये कऽ छोड़त आ ताहि लेल टाका पैसाक प्रबंध सेहो कऽ देत, मुदा जखन मधुरक भोज करहिये पड़त तऽ कर्ज कियाक लेब।
गोनू झा बजलाह 'ठीक छैक। अपने सभक इच्छाक पूर्ति होयत। हम टाका पैसाक जोगार स्वयं कऽ लेब आ अहाँ सभक मूँह मिट्ठो करा देब।"
सभ तृप्त होइत अपन - अपन घर जाइत गेलाह।
क्रमशः श्राद्धक समय लगचियाल गेल आ गौंआँ सभ अपन - अपन पेट सोन्हाबऽ लगैत लगला।
इहो पढ़ब:-
श्राद्धक दिन जखन नोंत देब आरम्भ भेल तऽ लोकक प्रसन्नताक मन अपना - अपना ढंगे खयबा आ लयबाक योजना बनबय लागल।संध्या काल जखन बिझहो भेल तऽ केओ छिपली - लोटा, तऽ केओ पितरिया बरगुन्ना, तऽ केओ कसकुटक बट्टा लऽ कऽ गोनू झाक घर दिस विदा होइत गेलाह किछु खन्हन किछु मोटरी बन्हनक मन्सूबा पोसने सभ हुनक दलान पर गज - गज करय लागल।
चटपट बीड़ी बैसाओल गेल। करमान लागल लोक अपन उचित स्थान ताकि - ताकि बैसैत गेलाह। पुरैनिक पात परसनाइ आरम्भ भेल | जिनका जेना इच्छा भेलनि, पात लऽ कऽ ओकरा सजोलनि आ जल - सिक्त करैत गेलाह। कने कालक लेल शांति पसरल रहल। फेर दू तीन बलिषट बारिक छिट्टा कन्हापर रखने आँगन सँ बहरायल। छिट्टा देखैत देरी, सभक जीह सँ पानी उधिआय लगलनि.....मुदा पात पर मधुरक बदलामे जखन कुसियारक छोट - छोट टोनी सभ खसय लागल तऽ निमन्त्रित ब्राह्मन हहा - हहाकऽ निचा खसय लगलाह - ई गोनूआँ सभ के बुरि बना कऽ चली गेलौं।
तखने गोनू झा अपन बटलोही सन पेट पर हाथ फेरैत आँगनां सँ बहरयालह "हँ, तऽ आब नैवेध देल जाय"। पुनः कऽल जोडैत आगू बजलाह '
आइ स्वर्ग मे हमर पिता कतेक प्रसन्न होइ़त हेताह, जे एतेक रास ब्रह्मण देवता हुनका नाम पर बैसल भोजन कऽ रहल छथि।'
गामक मुखिया के नहि रहल भेलनि, बजलाह "की हओ गोनू, एकोरत्ती तोरा लाज नहि होइ छऽ जे दलान पर बैसा हमरा सभ के बुरि बना रहल छऽ।
इहो पढ़ब:-
गोनू गम्भीर मुद्रामे प्रत्युत्तर कयलथिन "हम के होइत छी अपने सभ के बुरि बनौ़निहार। अहाँ लोकनि तऽ जानै छी जे सब मिठाइयेक जैड़ होइत अछि कुसियार, तें तरह - तरह मिठाइक फेरी सँ हम बुझल जे किएकने तकर मुले अपन लोकनिक समक्ष राखल जाय। होइयौ, आब अधिक विलम्ब नहि करियौ।
ब्रह्मण देवता लोकनि कें जखन अपन गलतीक भाज भेलनि तऽ बकार नहि फुटलनि।
अन्ततोगत्वा टोनिकें चिबबैत मोनहि मोन गोनूक श्राद्धक संग संग अपन अपन पेटोक श्राद्ध करय लगलाह।
@प्रभाकर मिश्रा 'ढुन्नी'
Tags : # Gonu jha # Maithili Story
@प्रभाकर मिश्रा 'ढुन्नी'
Tags : # Gonu jha # Maithili Story
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
अपन रचनात्मक सुझाव निक या बेजाय जरुर लिखू !