बुधवार, 15 जून 2022

चानन रगड़ि सुहागिनी हे गेले फूलक हार - लिरिक्स Chanan ragri suhagini he gele phalak haar

रचनाकार - विद्यापति
बारहमासा गीत

चानन रगड़ि सुहागिनी हे गेले फूलक हार।
सेनुरा सँ संगिया भरल अछि हे सुख मास अषाढ़।।

राजा गेलाह मृग मारन हे वन गेलाह शिकार।
जोगी एक ठाढ़ अंगना में हे रानी सुनि लीय बात हमार।
द दिय भीक्षा जोगी के हे ओ त छोड़ता द्वार।।

सावन बड़ा सुख दावन हे दु:ख सहलो ने जाय।
इहो दुख होइहन्डु रानी कुब्जी के जो कन्त रखली लोभाय।।

भादब भरम भयावन हे गरजै ढ़हनाय
सबके बलम देखि घर में हे ककरा संग जाय

आसिन कुमर आबि गेल हे कि ओ आब ने जिथि
चीढ्ढी में लीखल वियोगिया हे हजमा हाथे देब

कातिक परबहिं लागि गेल हे गोरी-गंगा-स्नान
गंगा नहाय लट झारलऊँ हे सीथ लागे उदास

अगहन सारी लबीय गेल हे फुटि गेल सब रंग धान
प्रभुजी त छथि परदेसिया हे कियो भोगत आन

पुसहिं ओसहिं गिड़ि गेल हे भीजि गेल लाम्बी-लाम्बी केस
केसब सुखाबी ओसरबा हे सीथ लागे उदास

माघहि मास चतुर्दशी हे शीब-ब्रत तोहार
घुमि-फिरि अचलऊँ मन्दिरबा हे चित लागय उदास

फागुन फगुआ खेलबितऊँ हे निरमोहिया के साथ
प्रभुजी के हाथ पीचकारी हे उड़िते अतरी गुलाब

चैतहिं बेली फूलाय गेल हे फूलि गेल कुसुम गुलाब
फूलबा के हार गुथबितहुँ हे भेजितऊँ प्रभु के सनेश

वैसाखहिं बंसबा कटबितऊँ हे रचि बंगला छेबाय
ओहि दे बंगला बीच सुतितऊँ हे रसबेनिया डोलाय

जेठहिं मास भेंट भा गोल हे पिरि गेल बारह मास
प्रभुजी त एला जगरनाथ हे कन्त लीय समुझाय।।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

अपन रचनात्मक सुझाव निक या बेजाय जरुर लिखू !