बुधवार, 31 अगस्त 2016

ए हरि, बंदओं तुअ पद नाए - विद्यापति

E Hari Bandaon Tu Pad Naye

जतने जतेक धन पाएँ बटोरल मिलि-मिलि परिजन खाए। 

मरनक बेरि हरि केओ नहि पूछए एक करम सँग जाए॥ 

ए हरि, बंदओं तुअ पद नाए। 

तुअ पद परिहरि पाप-पयोनिधि पारक कओन उपाए॥ 

जनम अवधि नति तुअ पद सेवल जुबती रति-रंग मेंलि। 

अमिअ तेजि हालाहल पिउल सम्पद आपदहि भेलि॥ 

भनइ विद्यापति लेह मनहि गुनि कहलें कि होएत काज। 

साँझक बेरि सेवकाई सँगइते हेरते तुअ पद लाज॥ 

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