जौं सिया जानकी चलल वन रहना,
कानल राम लखन सहित
आरे घुरि जइऔ फिरि जइऔ देओर लछुमन,
मोरो संग बिपति बहुत
नहि हम घुरबइ रामा नहि हम फिरबइ,
अहूँ संग देब दिवस गमाय
आरे मुठीएक सरिसो खोंइछा बान्हि लेलनि,
छीटैत छीटैत वन जाय
गोर लागू पइयाँ पडू धरती माता,
जल्दी सँ फाटू हम समाय
एही बाटे जयता श्री राम लछुमन,
सरिसो सुररिते घर जाय
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