शुक्रवार, 30 अप्रैल 2021
गुरुवार, 29 अप्रैल 2021
रविवार, 25 अप्रैल 2021
प्रथम प्रणाम करै छी हे - 2
नई जानी हम सेवा पूजा,
अट पट गीत गवै छी हे,
नई जानी हम सेवा पूजा,
अट पट गीत गवै छी हे
हे जगदम्बा हे महा काली,
प्रथम प्रणाम करै छी हे ।
सुनलहूं कतेक अधम के अहां,
मनवांछित फल दैछी हे,
सुनलहूं कतेक अधम के अहां,
मनवांछित फल दैछी हे
नई जानी हम सेवा पूजा,
अट पट गीत गवै छी हे
हे जगदम्बा हे महा काली,
प्रथम प्रणाम करै छी हे ।
सोना चांदी महल अटारी,
ई सब कीछु नै मंगैइ छी हे,
सोना चांदी महल अटारी,
ई सब कीछु नै मंगैइ छी हे
नई जानी हम सेवा पूजा,
अट पट गीत गवै छी हे
हे जगदम्बा हे महा काली,
प्रथम प्रणाम करै छी हे ।
मन के मनोरथ मन में रखैछी,
मंदिर तक पहुंचैछी हे,
मन के मनोरथ मन में रखैछी,
मंदिर तक पहुंचैछी हे
नई जानी हम सेवा पूजा,
अट पट गीत गवै छी हे
हे जगदम्बा हे महा काली,
प्रथम प्रणाम करै छी हे ।
प्रेम पावी निराश हम,
नैन नीर बहबै छी हे
प्रेम पावी निराश हम,
नैन नीर बहबै छी हे
नई जानी हम सेवा पूजा,
अट पट गीत गवै छी हे
हे जगदम्बा हे महा काली,
प्रथम प्रणाम करै छी हे ।
शनिवार, 24 अप्रैल 2021
प्रारंभिक जीवन : मनोज वाजपेयी के जन्म पश्चिमी चंपारण जिला के Narkatiaganj नरकटियागंज के एकटा छोट सन गाँव बेलवा के किसान परिवार में 23 अप्रैल 1969 भेल छलनी। मनोज बाजपेई जी अपन स्कूली पढाई बेतिया जिला के के० के० आर हाई स्कूल सं केने छथि। आ अपन 12th क्लास के पढ़ाई महारानी जानकी कॉलेज, बेतिया सं पूरा केलथी। स्नातक के पढ़ाई लेल दिल्ली विश्वविद्यालय के रामजस कॉलेज आबि गेलैथ। हिनका नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा सं चाइर बेरा खारिज क देल गेलैन ताहि उपरांत इ बैरी डरामा स्कूल सं बैरी जॉन के संग थीयेटर केलथि।
एहिके बाद मनोज बाजपेयी किछ छोट छोट रोल केलथि मुदा हिनका अपन मनमुताबिक रोल नै भेटलनि आ ओ मुम्बई छोड़बाक मोन बना लेलैथ मुदा 1998 मे राम गोपाल वर्मा के फिल्म सत्या में काज करबाक उपरांत कहिओ वापस घुइम के नै देखलथि। अहि फिल्म लेल हिनका सर्वश्रेष्ठ सह-अभिनेता के राष्ट्रीय पुरस्कार और फिल्मफेयर के सर्वोत्तम अभिनेता पुरस्कार (समीक्षक) मुख्य अछि।
गुरुवार, 22 अप्रैल 2021
बुधवार, 21 अप्रैल 2021
सोमवार, 19 अप्रैल 2021
इहो पढु - दुर्लभ पक्षीराज : दुनिया मे सबसं बेसी गरुड़ मिथिलाक धरती पर
शुक्रवार, 16 अप्रैल 2021
बुधवार, 14 अप्रैल 2021
हमरा सँ अहाँ मुह मोइर न लेब - 2
सजना कहियो हमर संग छोइर न देब - 2
अहाँ बिनु एक पल रही न पायब,
जिबते जी अहाँ बिन मैर जायब - 2
ओ... ओ.
केने छि प्रीतम अहाँ पर भरोसा
देब न कहियो हमरा धोखा
खाऊ सपथ दिल तोइर न देब - 2
सजना कहियो हमर संग छोइर न देब
सजनी कहियो हमर दिल तोइर न देब
अहाँ सँ जुरल ऐछ जिनगी क तार,
राखब सजना जी सेनुरक लाज - 3
हो.हो.हो...
जियब मरब हम अहि के साथ
जिनगी भैर नै छोरब हाथ
और कौस क दिल जोइर हम लेब - 2
सजनी कहियो हमर दिल तोइर न देब
सजना कहियो हमर संग छोइर न देब
प्रेमक नाजुक बंधन तोइर न देब - 2
सजनी कहियो हमर दिल तोइर न देब - 2
हमरा सँ अहाँ मुह मोइर न लेब - 2
सजना कहियो हमर संग छोइर न देब - 2
सजनी कहियो हमर दिल तोइर न देब
सजना कहियो हमर संग छोइर न देब।
- गीत : Premak Najuk Bandhan
- Movie : Senurak Laaj
- गायक : उदित नारायण झा, साधना सरगम
शुक्रवार, 9 अप्रैल 2021
1. मास्टर साहेब कक्षा में पुछलैथ:
सीनियर आ जूनियर मे की अंतर छै?
असगरे फेकना टा हाथ उठेलक...
मास्टर साहेब कहलैथ : शाब्बास बेटा, बाज?
फेकना: मासैब, जे समुद्रक पास रहैत छै ओ सीनियर (see-near),
आ जे चिड़ियाघर क लग रहैत छै ओ जूनियर (zoo-near)!
2. प्रेमिका : हमर पप्पा कहलखिन हन जे अगर हम एग्जाम म फेल भ गेलियै त हमर बियाह रिक्शाबला सं क देथिन।
मंगला : वाह! हमरो पप्पा कहलखिन जे अगर हम फेल हेबै त हमरा रिक्शा खरीद देथिन।
इहो पढु - लिरिक्स कनि हैंस क कहूं, कनि कैस क कहूं..
3. मास्टर जी - बौआ सब क'ह, घर-घर शौचालय बनेबाक की फायदा छै?
सोनूआ- मास्टर साहब, वातावरण शुद्ध रहैत छै...
मास्टर जी शाबाश... आ दोसर...
सोनूआ- आगु नै घुसकय परैत छै...
4. पत्नी : अहाँ सब बात मे हमर नैहर बला के बीच मे किया लाबय छियै? जे बजबाक य सीधा हमरा बाजल करू।
पति : देखु जहन टीवी मे कुनो खराबी आबय छै त कियो टीवी क थोड़बे न बाजय छै, गाइर त कंपनीये बला खाइत छै न।
5. कनियाँ मूड मे- हे यौ सुनय छियै, अपन सुहागरात बला दिन जहन अहाँ हमर घोंघट पहिल बेरा उठेने छलियै त अहाँ क केहन लागल छल?
पति- सच कहूँ, अगर हमरा हनुमान चालीसा याद नै रहितैं त हम ओहि दिन मइर जैतौं।
बुधवार, 7 अप्रैल 2021
नहि घृणा करू बुझि पतित पीक।
ताम्बूल तेज-तरूआरि-दशन-
सँ चिरा हृदय, रस-लाल अपन-
शोभाक हेतु जे कैल दान,
तकरे पवित्र हम छी प्रतीक।
मुख-निधिमे उठल तरंग तरल,
नहि रहि सकलहुँ चुपचाप पड़ल।
आननमे पावन, भूमिलग्न
होइतहि अपूत, की उचित थीक।
हम दशन बसन केर अनुरंजक
जे रसिकक पूर्ण मनोरंजक।
जधरस्थ हमर बुध करथि पान,
अधरस्थ देखि पुनि हँटब ठीक।
नन्दनवन-विहरणशील सुरक
पितरक अथवा नृप भूमिसुरक
नैवेद्यक रस छी हमहि मुख्य;
तें ई अपमान न करब नीक।।
स्वार्थी संसारक केहन नियम,
उपकृतो उपद्रव करै न कम
भूषित भै भूशित कैल अहाँ,
ई रीति नीति नहिएँ सुधीक।
नहि पतन एक दिन ककर हैत ?
पृथ्वीक कोरमे के न जैत ?
तें सकल वस्तुमे एक भाव
राखक थिक, गीता पढु सटीक।
















