शुक्रवार, 30 अप्रैल 2021

ससन-परस खसु अम्बर रे देखल धनि देह - विद्यापति Sasan Paras Khasu Ambar Re Lyrics

ससन-परस खसु अम्बर रे देखल धनि देह। 
नव जलधर-तर चमकए रे जनि विजुरी-देह॥ 

आज देखलि धनि जाइते रे मोहि उपजल रंग। 
कनक-लता जनि संचर रे महि निर अवलंब॥ 

ता पुन अपरुब देखल रे कुच-जुग अरबिंद। 
बिगसित निह किछु करन रे सोझाँ मुख-चंद॥ 

विद्यापति कवि गाओल रे रस बुझ रसमंत। 
देवसिंह नृप नागर रे हासिनि देइ कंत॥ 

रचनाकार - विद्यापति

गुरुवार, 29 अप्रैल 2021

आगे माइ डंड-कमण्डल बरुआ के गले मृगछाल | मैथिली उपनयन के भीख गीत

आगे माइ डंड-कमण्डल बरुआ के गले मृगछाल
आगे माइ झोरा नेने फल्लां बरुआ मड़बहि ठाढ़
आगे माइ कहां गेली किए भेली आमा सोहागिन
हम भिखियरि लेल छी ठाढ़
आगे माइ के तोंहे थिकह, कौने देशक, 
कीए थिकहु तोर नाम
आगे माइ हम त छी आमा अहीं केर पुत्र, 
तपसी के लागल पियास
आगे माइ पहिल भीख आंचर झांपि आमा अपन देलखिन
कान कुण्डल गरा सोन
आगे माइ भनहि विद्यापति 
सुनू हे तपसी जुग जुग जीबथु कुल पुत्र

कामिनि करम सनाने | विद्यापति Kamini karam sanane vidyapati lyrics

कामिनि करम सनाने
हेरितहि हृदय हनम पंचनाने।
चिकुर गरम जलधारा
मुख ससि डरे जनि रोअम अन्हारा।
कुच-जुग चारु चकेबा
निअ कुल मिलत आनि कोने देवा।
ते संकाएँ भुज-पासे
बांधि धयल उडि जायत अकासे।
तितल वसन तनु लागू
मुनिहुक विद्यापति गाबे
गुनमति धनि पुनमत जन पाबे।

रचनाकार - विद्यापति

आहे सखि आहे सखि लए जनि जाह | विद्यापति

आहे सखि आहे सखि लए जनि जाह। 
हम अति बालिका निरदए नाह।

गोट-गोट सखि सब गेलि बहराए। 
बजर केवाड़ पहु देलन्हि लगाए।

ताहि अवसर सखि जागल कंत। 
चीर संभारइत जिब भेल अंत।

नहि नहि करिअ नयन ढर नोर। 
कांच कमल भमरा झिकझोर।

जइसे डगमग नलिनिक नीर। 
तइसे डगमग धनिक सरीर।

भन विद्यापति सुनु कविराज। 
आगि जारि पुनि आगिक काज।

रचनाकार - विद्यापति

रविवार, 25 अप्रैल 2021

Hey Jagdamba Jagat Maa Kaali Lyrics | हे जगदम्बा हे महा काली लिरिक्स

Hey Jagdamba Jagat Maa Kaali | Maithili Devi Geet Lyrics 

 
हे जगदम्बा हे महा काली (हे जगदम्बा जगत मां काली)

प्रथम प्रणाम करै छी हे  - 2

नई जानी हम सेवा पूजा,

अट पट गीत गवै छी हे,

नई जानी हम सेवा पूजा, 

अट पट गीत गवै छी हे

हे जगदम्बा हे महा काली,

प्रथम प्रणाम करै छी हे ।


सुनलहूं कतेक अधम के अहां,

मनवांछित फल दैछी हे,

सुनलहूं कतेक अधम के अहां,

मनवांछित फल दैछी हे

नई जानी हम सेवा पूजा,

अट पट गीत गवै छी हे

हे जगदम्बा हे महा काली,

प्रथम प्रणाम करै छी हे ।


सोना चांदी महल अटारी,

ई सब कीछु नै मंगैइ छी हे,

सोना चांदी महल अटारी,

ई सब कीछु नै मंगैइ छी हे

नई जानी हम सेवा पूजा,

अट पट गीत गवै छी हे

हे जगदम्बा हे महा काली,

प्रथम प्रणाम करै छी हे ।


मन के मनोरथ मन में रखैछी,

मंदिर तक पहुंचैछी हे,

मन के मनोरथ मन में रखैछी, 

मंदिर तक पहुंचैछी हे

नई जानी हम सेवा पूजा,

अट पट गीत गवै छी हे

हे जगदम्बा हे महा काली,

प्रथम प्रणाम करै छी हे ।


प्रेम पावी निराश हम,

नैन नीर बहबै छी हे

प्रेम पावी निराश हम,

नैन नीर बहबै छी हे

नई जानी हम सेवा पूजा,

अट पट गीत गवै छी हे

हे जगदम्बा हे महा काली,

प्रथम प्रणाम करै छी हे ।


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शनिवार, 24 अप्रैल 2021

मिथिलाक बेटा मनोज वाजपेयी के बायोग्राफी

Manoj Bajpayee Biography in Maithili

प्रारंभिक जीवन : मनोज वाजपेयी के जन्म पश्चिमी चंपारण जिला के Narkatiaganj नरकटियागंज के एकटा छोट सन गाँव बेलवा के किसान परिवार में 23 अप्रैल 1969 भेल छलनी। मनोज बाजपेई जी अपन स्कूली पढाई  बेतिया जिला के के० के० आर हाई स्कूल सं केने छथि। आ अपन 12th क्लास के पढ़ाई महारानी जानकी कॉलेज, बेतिया सं पूरा केलथी। स्‍नातक के पढ़ाई लेल दिल्‍ली विश्‍वविद्यालय के रामजस कॉलेज आबि गेलैथ। हिनका नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा सं चाइर बेरा खारिज क देल गेलैन ताहि उपरांत इ बैरी डरामा स्कूल सं बैरी जॉन के संग थीयेटर केलथि।

मनोज वाजपेयी के कैरियर के शुरुआत दूरदर्शन पर प्रसारित होय बला धारावाहिक स्वाभिमान के साथ भेलनि। हिनकर पहिल डेब्यू फिल्म ‘द्रोहकाल’ साल 1994 में रिलीज भेल छलनी, जाहिमे हिनका सिर्फ एक मिनट के रोल भेटल छलनी। ओहिके बाद ‘बैंडिट क्वीन’ (1994) में डाकू मान सिंह के एकटा छोट भूमिका अदा केलथि। जाहिमे हिनका बहुते प्रशंसा भेटलनि।

एहिके बाद मनोज बाजपेयी किछ छोट छोट रोल केलथि मुदा हिनका अपन मनमुताबिक रोल नै भेटलनि आ ओ मुम्बई छोड़बाक मोन बना लेलैथ मुदा 1998 मे राम गोपाल वर्मा के फिल्म सत्या में काज करबाक उपरांत कहिओ वापस घुइम के नै देखलथि। अहि फिल्म लेल हिनका सर्वश्रेष्ठ सह-अभिनेता के राष्ट्रीय पुरस्कार और फिल्मफेयर के सर्वोत्तम अभिनेता पुरस्कार (समीक्षक) मुख्य अछि।

1999 मे फिल्म शूल में मनोज वाजपेयी द्वारा निभायल गेल किरदार समर प्रताप सिंह के लेल हिनका फिल्मफेयर के सर्वोत्तम अभिनेता पुरस्कार भेटलनि। अमृता प्रीतम के मशहूर उपन्यास ‘पिंजर’ पर आधारित फ़िल्म पिंजर के लेल एक बेरा फेर राष्ट्रीय पुरस्कार भेटलनि। एकर बाद त चारु दिस मनोज वाजपेयी के एक्टिंग के चर्चा होमय लगलनि। चाहे ओ 2010 मे आयल प्रकाश झा निर्देशित फिल्म राजनीति होय या 2012 मे आयल फिल्म गैंग्स ऑफ वासेपुर मे मनोज सरदार खान के किरदार। एकर अलाबा "स्पेशल 26", 'दाउद", "प्रेम कथा", "तम्मना", "सत्या", "कौन", "शूल",  "LOC कारगिल", "फिजा", "दिल पे मत ले यार", "वीर-जारा", "जेल" इ सब हिनकर किछ फिल्म अछि। 

गुरुवार, 22 अप्रैल 2021

लाल-पीयर केर माड़ब लिरिक्स | मैथिली जनउ गीत

लाल-पीयर केर माड़ब
पाने-पत्र छारल हे
ताहि माड़ब बैसला बाबा
कि ऐहब दादी हे
कोरा भय बैसला बरुआ
कि लाल जनउ दिअ हे
रहू बाबू रहू बाबू बरुआ,
कि लाल जनउ देब हे
आइ होयब अहाँ ब्राह्मण
कि पियर जनौआ देब हे

आजु दोखिअ सखि बड़ अनमन सन - विद्यापति

आजु दोखिअ सखि बड़ अनमन सन, 
बदन मलिन भेल तारो।
मन्द वचन तोहि कओन कहल अछि, 
से न कहिअ किअ मारो।

आजुक रयनि सखि कठि बितल अछि, 
कान्ह रभस कर मंदा।
गुण अवगुण पहु एकओ न बुझलनि, 
राहु गरासल चंदा।

अधर सुखायल केस असझासल, 
धामे तिलक बहि गेला।
बारि विलासिनि केलि न जानथि, 
भाल अकण उड़ि गेला।

भनइ विद्यापति सुनु बर यौवति, 
ताहि कहब किअ बाधे।
जे किछु पहुँ देल आंचर बान्हि लेल, 
सखि सभ कर उपहासे।।

रचनाकार - विद्यापति

प्रथमहि सुंदरि कुटिल कटाख | विद्यापति

प्रथमहि सुंदरि कुटिल कटाख। 
जिब जोखि नागर देअ दस लाख।
केओ देअ हास सुधा सम नीक। 
जइसन परहोंक तइसन बीक।
सुनु सुंदरि नव मदन-पसार। 
जनि गोपह आओब बनिजार।
रोस दरसि रस राखब गोए। 
धएलें रतन अधिक मूल होए।
भलहि न हृदय बुझाओब नाह। 
आरति गाहक महंग बेसाह।
भनइ विद्यापति सुनह सयानि। 
सुहित बचन राखब हिय आनि।

रचनाकार - विद्यापति

बुधवार, 21 अप्रैल 2021

नहाय सोनाय बरुआ मड़बा पर ठाढ़ | मैथिली उपनयन लोकगीत Nahay sonay baruaa maraba par thar

नहाय सोनाय बरुआ मड़बा पर ठाढ़
कहाँ सोभय पीयर धोती, कहाँ फुलहार
डांड़ शोभय पीयर धोती, गले फुलहार
कहाँ शोभय पीयर जनउआ, कहाँ मृगछाल
कान्ह शोभय पीयर जनउआ, गले मृगछाल
आगे माइ पहीरि ओढ़िय बरुआ मड़बा पर ठाढ़
आगे माइ आशीष देथु बरुआ के कुल परिवार

सोमवार, 19 अप्रैल 2021

मिथिलाक विक्रमशिला विश्वविद्यालय के खंडहर सं झांकैत इतिहास

सिल्क सिटी के नाम सं मशहूर भागलपुर जिला सं करीब 50 किलोमीटर पूरब मे कहलगांव ल'ग अंतीचक गाम स्थित विक्रमशिला विश्वविद्यालय ( Vikramshila University In Bhagalpur ) के खंडहर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पर्यटक के आकर्षण के केंद्र सेहो अछि। एकरा एकटा प्राचीन राजकीय विश्वविद्यालय के रूप मे सेहो जानल जाइत अछि। अहिसे किछ किलोमीटर उत्तर मे गंगा नदी बहैत अछि। 

सातवीं शताब्दी मे भारत भ्रमण पर आयल मशहूर चीनी यात्री ह्वेन सांग के यात्रा-वृतांत मे विक्रमशिला विश्वविद्यालय के कुनो जिक्र नै भेटय अछि, जे इ बताबय अछि जे ओहि समय धरि महाविहार वजूद मे नै आयल छल। 


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अहि विश्वविद्यालय के स्थापना पाल वंश के राजा धर्मपाल आठवीं सदी के अंतिम वर्ष या नौवीं सदी'क शुरुआत मे केने छलथि। करीब चाइर सदि धरि वजूद मे रहलाक उपरांत तेरहवीं सदी के शुरुआत मे इ नष्ट भ गेल छल। एकटा मान्यता इ अछि जे महाविहार के संस्थापक राजा धर्मपाल के भेटल उपाधि 'विक्रमशील' के कारण संभवतः एकर नाम विक्रमशिला पड़ल।

सौ एकड़ सं बेसी भू-भाग मे स्थित अहि विश्वविद्यालय के खुदाईक शुरुआत साइठक दशक मे पटना विश्वविद्यालय द्वारा कैल गेल छल, एकरा  1978 सं 1982 के बीच भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण  पूरा केलक। विक्रमशिला विश्वविद्यालय मे अध्यात्म, दर्शन, तंत्रविद्या, व्याकरण, तत्त्व-ज्ञान, तर्कशास्त्र आदि के पढ़ाई होइत छल। 

एतय पढ़य आबय बला सब कियो के विश्वविद्यालय के द्वारे पर कठिन प्रवेश परीक्षा सं गुजरय परैत छल। एतय एक संगे करीब एक हज़ार विद्यार्थी पढ़ैत छल आ सौ प्राध्यापक रहैत छल।

अहि विश्वविद्यालय के प्रबंधन द्वारा बिहार के एकटा दोसर मशहूर नालंदा विश्वविद्यालय के काम-काज के सेहो नियंत्रित कैल जाइत छल। दुनु दिसक शिक्षक एक-दोसरक एतय जा क पढ़ाबितो छलैथ। 


शुक्रवार, 16 अप्रैल 2021

धिया केर हाथ बाबा वर के समरपल - समदाउन गीत

धिया केर हाथ बाबा वर के समरपल 
धिया भेली ममता विभोर गे माई। 

मुसुकल सन मुँह काँपे दूनू ढोरबा, 
आँखिया में रोकल लोर गे माई । 

हमर अपन धिया वंश बदलि गेल, 
हमरो कलेजा कठोर गे माई। 

लतिका स्नेह मइया छाती दाबि हुकरथि, 
धिया लेई जायब पराय गे माई।

बुधवार, 14 अप्रैल 2021

जयति जय माँ अम्बिके लिरिक्स

जयति जय माँ अम्बिके जगदम्बिके जय चण्डिके
सघन घन सँ मुक्ति कुन्तल भाल शोभित चण्डिके
जयति जय माँ अम्बिके जगदम्बिके जय चण्डिके
हार मुण्डक हृदय शोभित श्रवण कुण्डल मण्डिते
जयति जय माँ अम्बिके जगदम्बिके जय चण्डिके
बिकट आशन घोर बदने चपल रसने कालिके
खर्ग खप्पर करहिं शोभित भति प्रण के पालिके
जयति जय माँ अम्बिके जगदम्बिके जय चण्डिके
घनन-घन-घन नूपूरु गुञ्जित कपल पद लट राजिते
दीप अभय वरदायिनी माँ जयति जय अपराजिते
जयति जय माँ अम्बिके जगदम्बिके जय चण्डिके
सघन घन सँ मुक्ति कुन्तल भाल शोभित चण्डिके

रचनाकार: विद्यापति

Premak Najuk Bandhan Lyrics - प्रेमक नाजुक बंधन लिरिक्स

प्रेमक नाजुक बंधन तोइर न देब - 2
सजनी कहियो हमर दिल तोइर न देब - 2

हमरा सँ अहाँ मुह मोइर न लेब - 2
सजना कहियो हमर संग छोइर न देब - 2

अहाँ बिनु एक पल रही न पायब,
जिबते जी अहाँ बिन मैर जायब - 2
ओ... ओ.
केने छि प्रीतम अहाँ पर भरोसा 
देब न कहियो हमरा धोखा
खाऊ सपथ दिल तोइर न देब - 2
सजना कहियो हमर संग छोइर न देब 

सजनी कहियो हमर दिल तोइर न देब

अहाँ सँ जुरल ऐछ जिनगी क तार,
राखब सजना जी सेनुरक लाज - 3
हो.हो.हो...
जियब मरब हम अहि के साथ
जिनगी भैर नै छोरब हाथ
और कौस क दिल जोइर हम लेब - 2
सजनी कहियो हमर दिल तोइर न देब 

सजना कहियो हमर संग छोइर न देब 

प्रेमक नाजुक बंधन तोइर न देब - 2
सजनी कहियो हमर दिल तोइर न देब - 2
हमरा सँ अहाँ मुह मोइर न लेब - 2
सजना कहियो हमर संग छोइर न देब - 2

सजनी कहियो हमर दिल तोइर न देब
सजना कहियो हमर संग छोइर न देब।

  • गीत : Premak Najuk Bandhan 
  • Movie : Senurak Laaj
  • गायक : उदित नारायण झा, साधना सरगम

शुक्रवार, 9 अप्रैल 2021

दुहुक संजुत चिकुर फूजल | विद्यापति

दुहुक संजुत चिकुर फूजल, 
दुहुक दुहू बलाबल बूझल ।
दुहुक अधर दसन लागल, 
दुहुक मदन चौगुन जागल ।
दुअओ अधर करए पान, 
दुहुक कंठ आलिंगन दान ।
दुअओ केलि संग संग भेलि, 
सुरत सुखे बिभाबरि गेलि ।
दुअओ सअन चेत न चीर, 
दुहु पिआसन पीबए नीर ।
भनइ विद्यापति संसय गेल, 
दुहुक मदन लिखना देल ।

रचनाकार - विद्यापति

एक पर एक टटका मैथिली चुटकुला 2021

1. मास्टर साहेब कक्षा में पुछलैथ:

सीनियर आ जूनियर मे की अंतर छै?

असगरे फेकना टा हाथ उठेलक...

मास्टर साहेब कहलैथ : शाब्बास बेटा, बाज?

फेकना: मासैब, जे समुद्रक पास रहैत छै ओ सीनियर (see-near),

आ जे चिड़ियाघर क लग रहैत छै ओ जूनियर (zoo-near)!



2. प्रेमिका : हमर पप्पा कहलखिन हन जे अगर हम एग्जाम म फेल भ गेलियै त हमर बियाह रिक्शाबला सं क देथिन।

मंगला : वाह! हमरो पप्पा कहलखिन जे अगर हम फेल हेबै त हमरा रिक्शा खरीद देथिन। 


इहो पढु - लिरिक्स कनि हैंस क कहूं, कनि कैस क कहूं..


3. मास्टर जी - बौआ सब क'ह, घर-घर शौचालय बनेबाक की फायदा छै?

सोनूआ- मास्टर साहब, वातावरण शुद्ध रहैत छै...

मास्टर जी शाबाश... आ दोसर...

सोनूआ- आगु नै घुसकय परैत छै...



4. पत्नी : अहाँ सब बात मे हमर नैहर बला के बीच मे किया लाबय छियै? जे बजबाक य सीधा हमरा बाजल करू।

पति : देखु जहन टीवी मे कुनो खराबी आबय छै त कियो टीवी क थोड़बे न बाजय छै, गाइर त कंपनीये बला खाइत छै न।



5. कनियाँ मूड मे- हे यौ सुनय छियै, अपन सुहागरात बला दिन जहन अहाँ हमर घोंघट पहिल बेरा उठेने छलियै त अहाँ क केहन लागल छल?

पति- सच कहूँ, अगर हमरा हनुमान चालीसा याद नै रहितैं त हम ओहि दिन मइर जैतौं।

बुधवार, 7 अप्रैल 2021

गायत्री मंत्र , सावित्री मंत्र | Gayatri Mantra, Savitri Mantra in Hindi

गायत्री मंत्र ( Gayatri Mantra ) :-

ॐ भूर् भुवः स्वः।
तत्सवितुर्वरेण्यं।
भर्गो देवस्य धीमहि।
धियो योनः प्रचोदयात्।

मैथिली मे भावार्थ : ओहि प्राणस्वरूप , दुःखनाशक , सुखस्वरूप , श्रेष्ठ , तेजस्वी , पापनाशक देवस्वरुप परमात्माके हम अन्तःकरणमे धारण करी ।


सावित्री मंत्र ( Savitri Mantra ) :-
ॐ भू : ॐ भुव : ॐ स्व : ॐ महः ॐ जन : ॐ तपः ॐ सत्यम् ॐ

पतित पीक : काशीकान्त मिश्र 'मधुप'

नहि घृणा करू बुझि पतित पीक।

ताम्बूल तेज-तरूआरि-दशन-

सँ चिरा हृदय, रस-लाल अपन-

शोभाक हेतु जे कैल दान,

तकरे पवित्र हम छी प्रतीक।


मुख-निधिमे उठल तरंग तरल,

नहि रहि सकलहुँ चुपचाप पड़ल।

आननमे पावन, भूमिलग्न

होइतहि अपूत, की उचित थीक।

हम दशन बसन केर अनुरंजक

जे रसिकक पूर्ण मनोरंजक।

जधरस्थ हमर बुध करथि पान,

अधरस्थ देखि पुनि हँटब ठीक।


नन्दनवन-विहरणशील सुरक

पितरक अथवा नृप भूमिसुरक

नैवेद्यक रस छी हमहि मुख्य;

तें ई अपमान न करब नीक।।


स्वार्थी संसारक केहन नियम,

उपकृतो उपद्रव करै न कम

भूषित भै भूशित कैल अहाँ,

ई रीति नीति नहिएँ सुधीक।


नहि पतन एक दिन ककर हैत ?

पृथ्वीक कोरमे के न जैत ?

तें सकल वस्तुमे एक भाव

राखक थिक, गीता पढु सटीक।

सोमवार, 5 अप्रैल 2021

मदनेश्वर धाम मंदिर : पाल वंश के अंतिम राजा नौवीं शताब्दी मे करेलनी अहि मंदिर के निर्माण !

अररिया प्रखंड के मदनपुर बाजार परिक्षेत्र के अति प्राचीन और महत्वपूर्ण शिवालय अछि बाबा मदनेश्वर नाथ ( Madneshwar Dham Madanpur )। मदना गांव स्थित सिद्ध, प्राचीन और अति संवेदनशील छथि बाबा मदनेश्वर नाथ के मंदिर। इ मंदिर जतेह संवेदनशील अछि भक्त के ओतबे आस्था अहि मंदिर सं जुडल अछि।
इतिहास : मदनेश्वरनाथ मंदिर मिथिला के प्रसिद्ध आ प्राचीनतम मंदिर मे सं एक अछि। अहि मंदिर के संग कतेको ऐतिहासिक मिथक आ किवदंति जुडल अछि। जनश्रुति के अनुसार शिवलिंग स्वतः अंकुरित भेल अछि। मंदिर के आसपास कतेको महत्वपूर्व मंदिर आ पुरातात्विक स्थल अछि। अहि मंदिर के नाम के ल के विद्वान मे किछ मतभेद अछि। स्व० पंडित सहदेव झा के अनुसार पाल के अंतिम राजा मदनपाल के द्वारा नौवीं शताब्दी मे एहिके स्थापना कैल गेल छल। यैह कारणे अहि क्षेत्र आ मंदिर के नाम मदनेश्वर पड़ल। ओतय किछ विद्वान के अनुसार मिथिला के बौद्ध धर्मी राजा मदनपाल अहिके स्थापना केने छलथि।

बनावट आ महत्व : छहरदिवारी सं घेरल मंदिर परिसर, मंदिर के सोंझा पूब मे स्थित विशाल शिवगंगा पोखरी आ अनेको आन मंदिर परिसर के और आकर्षक आ दर्शनीय बनाबैत अछि। ओना त  पुरे साल एतय श्रद्धालु के भीड लागल रहैत अछि मुदा साल के महाशिवरात्रि आ सावन मे नजारा किछ औरे होइत अछि। 

मंदिर के पुनर्निर्माण - पूर्णिया के नवाब सैफ खां के दीवान राजा नंद लाल सन 1740 के आपसास एतय मंदिर के निर्माण करौलनी। बाद मे सेहो कतेको मुस्लिम शासक मंदिर के महंथ के प्रचुर संपदा दान मे देलक। मंदिर के पुनर्निर्माण मदना गांव निवासी शिवभक्त बाबूजी राय करवौने छलथि।