सम्मरि स्वयंवर के अपभ्रंश अछि
■ पीपरक पात अकासहि डोलय लिरिक्स
पीपरक पात अकासहि डोलय,
शीतल बहय बसात यो
ताहि तर बाबा पलंगा ओछाओल,
सुतय पीताम्बर तानि यो
आइ हे माइ पर हे परोसिन,
बाबा के दियनु जगाइ हे
जिनका घर बाबा कन्या कुमारि,
सेहो कोना सूतल निश्चिन्त यो
जइयौ यौ अयोध्या नगरी,
राजा दशरथ हुनि राम यो
राजा दशरथ के चारि बालक छनि,
एक श्यामल तीन गोर यो
कारी देखि जुनि भुलबै यो बाबा,
कारी के तिलक चढ़ायब यो
■ एक राजा के चारि छनि धीया लिरिक्स
एक राजा के चारि छनि धीया,
चारू छनि कुमारि यो
धीया देखि बाबा माथ लेल पाग,
चलि भेल मगह मुंगेर यो
दक्षिण खोजल बाबा पश्चिम खोजल,
खोजल त्रिभुवन नाथ यो
एक जंगलमे भेटल एक तपसी,
हुनकहि देखि कनै छथि मनाइन
एहि िबर सौं नहि धीया बिहाअब,
मोर धीया रहति कुमारि यो
जुनि कानू जुनि खीजू हमरो मनाइन,
इहो थिका त्रिभुवन नाथ
■ सीता के देखि देखि झखथि जनक ऋषि लिरिक्स
सीता के देखि देखि झखथि जनक ऋषि,
मोती जकां झहरनि नोर
सीता जुगुत वर कतऽ भेटत,
ओतहि सऽ लायब जमाय यो
सीता जुगुत वर अवधपुर भेटत,
ओतहि सऽ लाउ जमाय यो
राजा दशरथ् जी के चारि बालक छनि,
एक श्यामल तीन गोर यो
गोरहि देखि नहि भूलबै यो बाबा,
श्यामल के मुकुट चढ़ायब यो
देशहि देश केर वीरलोक आओल,
सभ छूबि चलि गेल यो
वशिष्ठ मुनि संग आए दुइ बालक,
धनुष देखि करय उतफाल यो
जखनहि रामचन्द्र धनुष उठाओल,
सीया गले डालू जयमाल यो
जखनहि उठाओल मचि गेल जय जयकार यो
■ सूर्यक ज्योति सन हमरो उमा छथि लिरिक्स
सूर्यक ज्योति सन हमरो उमा छथि
वर लयला भंगिया भिखारि गे माई
कानऽ लगली खीजऽ लगली गौरी मनाइन
झहरनि नयना सँ नोर गे माई
एहि बरसँ नहि गौरी बिआहब
मोर गौरी रहती कुमारि गे माई
तीन भुवन वर कतहु ने भेटल
वर लयला भंगिया भिखारि गे माइ
देखितौं नारद के पढ़ितौं गारि
हुनको ने उचित विचार के माई
जुनि कानू जुनि खीजू हमरो मनाइन
जुनि पढू नारद के गारि गे माई
हमरो करममे इहो वर लीखल
लीखल मेटल नहि जाइ गे माई
■ हमरो गौरी छथि पाँचे बरस के लिरिक्स
हमरो गौरी छथि पाँचे बरस के
एक सौ बरस के जमाइ गे माई
कोना कऽ गोरी सासुर बसती
छथिन अति सुकुमारी गे माई
चारि सखि मिलि गौरी देखि कानथि
गौरी के देल जहदाइ गे माई
सऽन सन वर के केश पाकल छनि
पयरमे फाटल बेमाई गे माई
जुनि कानू जुनि खीजू सखि हे सहेलिया
इहो थिका त्रिभुवननाथ गे माई
एहि वर लए हम फूल लोढ़ि लयलौ
गंथलौं मे हार बनाइ गे माई
चन्द्रवदनि सन हमरो सुरति अछि
सूर्य सन छथिन जमाइ गे माई
■ सूतल छलहुँ ऊँच रे हवेलिया लिरिक्स
सूतल छलहुँ ऊँच रे हवेलिया
सुतलहुँ आंचर ओछाइ गे माई
सुतलमे बाबा सपन एक देखलहुँ
तिरहुत हाट विवाह गे माई
जे तिरहुतिया साजल बरिअतिया
थर-थर कांपय करेज गे माई
किए देखि आहे बेटी बइसक देबनि
किए देखि देबनि तमोल गे माई
किए देखि आहे बेटी जइतुक देबनि
किए देखि सुबुधि सिआन गे माई
चालि देखि आहे बेटी बइसक देबनि
मुख देखि देबनि तमोल गे माई
धन देखि आहे बेटी जइतुक देबनि
सीता देबनि सुबुधि सिआन गे माई
■ नवम बरख बेटी मुखहु ने बोलय लिरिक्स
नवम बरख बेटी मुखहु ने बोलय
दशम बरख बेटी भेलि उताहुल यो
एगारह बरख बेटी मांड़ब चढ़ि बैसली
करू बाबा कन्यादान यो
कन्यादान कए उठला बाबा
मोती जकां झहरनि नोर यो
किए जो खायब बेटी किए पहीरब
किए देखि रहब आनन्द यो
खीर जे खेबइ बाबा चीर
सिन्दूर देखि रहब आनन्द यो
■ कहथि सीता सुनू यौ बाबा लिरिक्स
कहथि सीता सुनू यौ बाबा
सुनू बाबा वचन हमार यो
हमरो बिआह करा दीअ यौ बाबा
हम बेटी बारि कुमारि यो
दछिन खोजल पछिम खोजल
खोजल मगह मुंगेर यो
सीता जुगुति वर कतहु ने भेटल
आब सीता रहली कुमारि यो
जाउ यौ नगर अवधपुर
राजा दशरथजी के पास यो
राजा दशरथजी के चारि बालक छनि
जेठकेँ तिलक चढ़ायब यो
छोटी मोटी देखि जुनि भूलब यौ बाबा
छोटहि छथि वीर महान यो
सात समुद्र जल बान्हि नरायब
खेलब सरयुग के तीर यो
ऊँच कय मड़बा भरा दीअ यो बाबा
ऊँच कय दुआरि लगाउ यो
चौदह कोस बाबा पृथ्वी चंछायब
चौदह वेद पढ़ायब यो
गया नोतब यो बाबा
झाड़ीखंड बद्रीनाथहि नोतब
पूब नोतब जगन्नाथ यो
एते बरिआत बाबा जल कतऽ पीताह
बाबा कुल होएत खिधांस यो
अगम - दीगम बेटी नदिया खुनायब
बाबा कुल बाजत नाम यो
जखन बरिआत सब चलल जनकपुर
चेरिया कलश नेने ठाढ़ यो
देबउ गे चेरिया सोना के गेरुलिया
मोरा आगू चरण पखारू यो
पहिल दुइ दान करब गाय-महींसिया
तेसर दान शाल-दुशाला यो
चारिम दान करब कान दुनू सोनमा
पांचम होएत कन्यादान यो
भेल बिआह चलू राम कोबर घर
सीता लेल अंगुरी धराय यो
■ राजा जनक जी प्रण एक ठानल लिरिक्स
राजा जनक जी प्रण एक ठानल
सीता के विवाह आइ हे
देश विदेश राजा पतिया पठाओल
धनुषा धयल ओंठगाय हे
देश विदेश के नृप सभ आयल
धनुषा छूबि-छूबि जाय हे
उठय ने धनुषा लागय बड़ भारी
आब सीता रहली कुमारि हे
क्षत्रिय ओ वीर भेटत नहि जगमे
होयत कोना सीताक विवाह हे
एतबा वचन जब सुनलनि लछुमन
बजला वचन रिसिआइ हे
लछुमन विमुख देखि बजला श्री रामचन्द्र
जुनि बाजू वचन रिसिआइ हे
दहिनहि धनुष उठाओल रघुनन्दन
बामहि कएल सहस्र खण्ड हे
तुलसी दास प्रभु तुम्हरे दरस को
राम-सीता भेल विवाह हे
■ रंक सुदामा हरि सँ बोलथि लिरिक्स
रंक सुदामा हरि सँ बोलथि
कते दुख सहब दिवस भेल घोर
बिलखैत बहिनी करथि विचार
सभ दिन सुनियनि राय विचार
एक दिन आहे पति दिन मनाउ
हरि संओ भेंट करयक जाउ
हम सुदामा ओ भगवान
बिलखैत ब्राह्मणी केना ई मान
जरय नहि दीप जुड़य नहि बाती
दोसर नहि केओ बसय समीप
टुटली मड़ैया करू निज बास
तोड़लहुँ पात पलासक डारि
ताहि मध्य दुना देल उलाइ
बीछी बीनी लेलहुँ, सेरेक दुइ भेल
एहन कठिन दुख दैब मोरा देल
हाथ फराठी कांख सन्देश
चलल सुदामा हरि के उदेश
पहिरन धरिया भेष कुभेष
एहन एहन रूप बसय कोन देश
बाजत धरि उठत घमघोल
शांति सऽ घूमत फिरत चहुँओर
सुनैत कृष्णा तुरन्त उठि आयल
हाथ सिंहासन झाडू लेल
दौड़ली रूकमिनि ओ सतभामा
चरण पखारि छीटथि सभठाम
आंचर दय प्रभु धोयलनि बेमाइ
तखन देलनि चर डोलाय
अमृत भोजन आनि खोऔलनि
घूरि फीरि मंदिर देलनि देखाइ
जहां देखी तहां रतनक ढ़ेरी
जौं किछु दितथि के मोहि घेरी
लाजक लेल नुकौलनि झांपि
कान्ह जानल सब बात बुझलनि
एक फाका फंकलनि दोसर फाका फंकलनि
तेसर मे रूकमिनि देल हाथे
जखन सुदामा विदा भए गेल
सभ चीज याद छीनि लेल
मोन मे सुदामा दुखी भए गेल
गरीब ब्राह्मणी हठ ठानलनि
अहिठाम छलइ रामा टुटली मड़ैया
रातियेमे कोना भूप बना देलनि अटारी
जे इहो सुदामा सम्मरि गाबिकऽ सुनाआल
तनिका बैकुण्ठ हैत बास विलास
■ रामक जोड़ी बनय जनकपुर लिरिक्स
रामक जोड़ी बनय जनकपुर
छत्तीस कोटि दे दान यो
हाथी साजल घोड़ा साजल
साजल सय बरियात यो
एते बरियात कहा भए अंटकत
ई कुल हैत निन्दा यो
अगम संगम नदी खुनाएब
त्रिभुवन कर निज घाट यो
एते बरियात ओतहि भए अंटकत
सीताकेँ होयत विवाह यो
भेल विवाह श्री राम चलू कोबर
सीता लेल अंगुरि धराय यो
जे इहो सीता सम्मरि गाबि सुनाओत
तनिका हैत बैकुण्ठ बास यो
■ पिता सुतला निश्चिन्त आमा रोबइ छथि जनकपुर मे लिरिक्स
पिता सुतला निश्चिन्त आमा रोबइ छथि जनकपुर मे
सीता रहय जोग ने छथि आब
सीता रहली कुमारी जनकपुर मे
पिता उठला चहाय चललाह वर खोजय जाथि जनकपुर मे
पिता घूरि फीरि अबथिन वर कतहु ने पार
माता खसली झमाइ जनकपुर मे
जनु आमा करू विरोग मन करू उदार जनकपुर मे
छथिन दशरथ के लाल अयोध्या मे
रामचन्द्र छथिन कुमार अयोध्या मे
चीठिया लिखाय बाबा हुनिके पठाय दिअयैन
हजमा के संग लगाय अयोध्यामे
■ गे माइ कल जोड़ि विनती करै छथि सीता बेटी लिरिक्स
गे माइ कल जोड़ि विनती करै छथि सीता बेटी
सुनू बाबा वचन हमार यौ
चोर चाण्डाल बाबा हाथ ने धरायब
करबमे पण्डित जमाय यौ
चोर चाण्डाल बाबा हाथ ने धरायब
मारत बिनु अपराध यौ
कोना हम बुझब बेटी चोर चाण्डाल
कोनाकऽ पण्डित जमाय यौ
वन पैसि चानन चौकिया छेबायब
नम्र पैसि जोहब जमाय यौ
भनहि विद्यापति सुनू हे सुनयना
लीखल मेटल नहि जाय यौ
■ घटबहि खाट पेटारहि डन्टा लिरिक्स
घटबहि खाट पेटारहि डन्टा
चानन केर चौपारि यौ
कथी लय ठाठल बसहर घरबा
कथी लय कयल विवाह यौ
माता लय ठाठल बसहर घरबा
पुत्र लय कयल विवाह यौ
कथी लय लगाओल अनधन गछिया
कथी लय लगाओल फुलवारी यौ
धान लय लगाओल अनधन गछिया
धर्म लय लगाओल फुलवारी यो
मैलहि धोती मैलहि तौनी
कारी कम्मल लेल हाथ यौ
बालक बोली अधबोलियो ने सुनलौं
दुखे जाइ छी जगरनाथ यौ
जुनि बाबू कानू जुनि नोर ढ़ारू
जुनि करू मन मे विरोग यौ
नग्र अयोध्या मे बसथि वशिष्ट मुनि
तनिकहु पठायब नोत यौ
जैं सीता सुनलनि राम अबै छथि
मनमे जागल आस यौ
हरियर गोबर आंगन निपाआल
धनुष देल ओंठगाय यौ
पातर राम धनुष बड़ भारी
धनुषा कोना कऽ उठाइ यौ
बामहि हाथ राम धनुष उठाओल
दहिनहि छोर मिलाइ यौ
टूटल धनुष सहस्र खंड भय गेल
मेदिनी उठल घहराय यौ
राम गले सीता माला पहिराओल
सीताराम होयत विवाह यौ
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
अपन रचनात्मक सुझाव निक या बेजाय जरुर लिखू !