सूतल छलहुँ बाबा के हबेलिया,
अझके मे आबि गेल कहार
लाले लाले छोलिया, सबुजे रंग ओहरिया,
लागि गेल बतिसो कहार
माय-बाप मिलि एक मति कयलनि,
डोलिया देलनि पड़साय
लए दए निकसल बिजुवन सखिया,
जाहि वन माय न बाप
एक कोस गेली सीता दुइ कोस गेली,
तेसरमे फेकल ओहार
घुरि जाउ भइया कि घुरि जाउ लोकनियां,
अम्मा के कहबनि बुझाय
अम्मां के कहबनि पाथर भए बइसती,
हमहुँ बइसब हीया हारि
भनहि विद्यापति गाओल समदाउन,
सभ बेटी सासुर जाइ
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
अपन रचनात्मक सुझाव निक या बेजाय जरुर लिखू !