एते दिन आहे सखि संग-संग रहलहुँ,
कयल कतेक अपराध
कखनहुँ मिलन कखनो हठ बस ठानि,
हेरल ने लोचन आध
पुरुब उगल रवि, पहुक विमल छवि,
सब जनी खेल पसार
कमलिनि की जानत इहो मधुमती,
रसिक भ्रमर व्यवहार
निर्धन सासुर की आदर करय,
भेल ने किछु सत्कार
सुतलि धिया के किए अहाँ तेजलहुँ,
पुरुषक हृदय पहाड़
उठलहुँ चललहुँ, रहलहुँ संग-संग,
हिलि मिलि सब नारि
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