गुरुवार, 31 अक्टूबर 2019

मैथिली खिस्सा : गोनू झा के बड़द

गोनू झा खेती-बाड़ी सँ कम्मे मतलब राखथि । राज दरबारक काज सँ फुर्सति नहि रहनि तथापि बाप-पुरखाक छोड़ल जमीन पर येनकेन प्रकारेण खेती करथि । एहि बेर किछु समय सँ हुनका खुट्‌टा पर बड़द नहि रहनि । खेती कोनो खास नहि रहनि आ तें गोनू बड़द कीनब आवश्यक नहि बुझथि । तथापि गौंआ सभ बेर-बेर पूछि दैन जे गोनू अपने बड़द कहिया लेबैक? ताहि समय मे खुट्‌टा पर मालजाल राखब सम्पन्नताक निशानी मानल जाइक आ एहना स्थिति मे गोनू कें बड़द कीनब अति आवश्यक भऽ गेलनि ।

एक दिन नियारि कें गोनू बड़न किनबाक हेतु भिनसरे गाम सँ चललाह । गाम सँ तीन कोस पर हाट रहैक । गोनू हाट पर पहुँचला आ बड़ी काल धरि घुमला-फिरलाक बाद एकटा बड़द पसिन्न केलनि आ ओकरा कीनि लेलाह । आब गोनू ओकर डोरी धेने गाम दिस विदा भेलाह । गामक सिमान पर अबैत-अबैत करीब चारि बाजि गेल । एम्हर रस्ता मे जे कियो देखैन से पूछि दैन जे बड़द कतेक मे भेल? कय दाँतक अछि? कय माटि बहल अछि? आदि-आदि । जबाव दैत-दैत गोनूक मोन अकच्छ भऽ गेल रहनि । आब गामक निकट छलाह आ स्वभावत: एहने प्रश्नक उम्मीद गोनू कें गामो मे छलनि । गोनू गामक पछवारि सिमान पर रहथि आ हुनक घर रहनि पुबारि टोल मे । एहना स्थिति मे पूरा गाम के कटैत हुनका अपन घर पर जेबाक रहनि । रस्ता मे जबाव दैत-दैत गोनू अकच्छ भऽ गेल रहथि आ तें ओ गामक सिमान पर कने काल विलमलाह आ किछु सोचय लगलाह ।

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कनेक काल सोचलाक बाद तो लगे मे एकटा गाछ पर चढ़ि गेलाह आ चिकरय लगलाह – “लोक सभ दौगह हौ ! हैया बाघ छै हौ !…। बाघ हमरा घेर नेने अछि हौ !…” गोनूक ई आवाज सुनैत देरी सौंसे गामक लोक दौगल । जकरा जएह हाथ लगलैक, सएह हथियार लऽ लेलक । एवं क्रमेण गामक सिमान पर लगभग पूरा गामक मेला लागि गेल । मुदा सभ देखलक जे एतय कोनो बाघ नै छैक आ गोनू गाछक एकटा ठाढ़ि पर बैसि कऽ निश्चिंत सँ तमाकुल चुना रहल छथि ।
हुनक ई हावभाव देखि लोक कें ई बुझवा मे भांगठ नहि रहलैक जे गोनू हमरा सभ कें छका देलनि, परन्तु किएक? सभक मोन मे ई प्रश्न छलैक । आखिर किछु गोटा पुछिये देलखिन गोनू सँ जे अपने एना कोना चिकरय लगलहुँ? एतय तँ कोनो बाघ नहि अछि? की अहाँ दिने मे सपना तँ नहि देखैत छलहुँ?

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उत्तर मे गोनू बजलाह – हम अपने सभ कें व्यर्थ मे परेशान कयल ताहि लेल सर्वप्रथम हम माँफी चाहैत छी । वस्तुत: हम आइये एकटा बड़द लेलहुँ अछि आ भरि रस्ता एकर दाम, गुण आदि कहैत-कहैत परेशान भऽ गेलहुँ अछि । बड़द अहाँ सोंझा मे गाछक नीचाँ बान्हल अछि । ई बड़द ६ दाँतक अछि, दू माटि बहल अछि, सय टका मे कीनल अछि…। चूँकि अपनहुँ सभ अलग-अलग सभ कियो एकरा विषय मे पुछबे करितहुँ तें हम उपयुक्त बूझल जे सौंसे गौंआ कें एके बेर मे बजा ली आ सभ कें एक बेर बजेबाक लेल एहि सँ दोसर उपाय की भऽ सकैत छल? गोनूक ई गप्प सूनि सभ कियो ठकाहा मारि कें हँसय लगलाह ।

बुधवार, 30 अक्टूबर 2019

बिधना के लिखल नै जनलौ लिरिक्स - Vidhna Ke Likhal Nai Jaanlau Song Lyrics

बिधना के लिखल नै जनलौ दुःख में माँ कानैत रहलौ 
बिधना के लिखल नै जनलौ दुःख में माँ कानैत रहलौ 
हे दुर्गे मईया बेटा के कहिया कोर लगेमें गे मै
हे श्याम मईया, बेटा के कहिया दरसन देमें गे मै

तरसै यै नैनक तारा, दोसर नै ऐछ सहारा,
तरसै यै नैनक तारा, दोसर नै ऐछ सहारा
हे श्याम मईया, बेटा के कहिया तुं दुलरेममें गे मै
गे दुर्गे मईया, बेटा के कहिया कोर लगेमें गे मै

माँ हम ककरा कहबै, ककरा सं रुसबै बजबै,
हे माँ हम ककरा कहबै, ककरा सं रुसबै बजबै
हे अम्बे मईया, बेटा के कहिया लालसा पुरेमें गे मै
गे दुर्गे मईया, बेटा के कहिया कोर लगेमें गे मै

हे भटय छी तोरे द्वारे, आबो शरण मे लऽ ले
माँ भटय छी तोरे द्वारे, आबो शरण मे लऽ ले
हे काली मईया, बेटा के कोना तुँ बिसरेमें गे मै
गे दुर्गे मईया, बेटा के कोना तुँ बिसरेमें गे मै

दुखड़ा ई सचिदानंदक, विनती ई सुनु अरविंदक्
दुखड़ा ई सचिदानंदक, विनती ई सुनु अरविंदक्
हे श्याम मईया, बेटा के कहिया सुधि तुँ लेमें गे मै
गे दुर्गे मईया, बेटा के कहिया कोर लगेमें गे मै
बिधना के लिखल नै जनलौ, दुःख में माँ कानैत रहलौ 
बिधना के लिखल नै जनलौ, दुःख में माँ कानैत रहलौ 
हे दुर्गे मईया, बेटा के कहिया कोर लगेमें गे मै
हे श्याम मईया, बेटा के कहिया दरसन देमें गे मै

गीतकार: सचिदानन्द झा
स्वर: अरविंद सिंह

शुक्रवार, 25 अक्टूबर 2019

बाराती गीत - मैथिली बरियाती लोकगीत लिरिक्स | Barati Geet Lyrics Maithili

मिथिलाक विवाह में बरियाती के लोकगीत

















गुरुवार, 24 अक्टूबर 2019

दरभंगा जिला के एक्टर आ कॉमेडियन संजय मिश्रा के जीवनी - Biography of Actor Sanjay Mishra From Darbhanga

मिथिला धरोहर : एक्टर आ कॉमेडियन संजय मिश्रा के जन्म 6 अक्टूबर 1963 के दरभंगा ( सकरी के नारायणपुर गाम)  मे भेलनि ( Actor Sanjay Mishra was born in Sakri, Narayanpur, Darbhanga )। संजय के पिता शम्भुनाथ मिश्रा पेशा सँ जर्नलिस्ट छलथि आ हिनकर दादा डिस्ट्रीक्ट मजिस्ट्रेट छलथि। सजंय जखन नौ साल के छलथि त हुनक परिवार वाराणसी शिफ्ट भऽ गेलनी। संजय जी अपन एजुकेशन वाराणसी सं केंद्रीय विद्यालय बीएचयू कैम्पस सं केलथि। एकर उपरांत ओ बैचलर के डिग्री साल 1989 मे पूरा करबाक पश्चात 1991 मे राष्ट्रीय ड्रामा स्कूल मे एडमिशन लेलथि।

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अहिलेल छोइर देने छलैथ एक्टिंग...
संजय जी के जहन पिताक देहांत भेलनि, तऽ ओ एक्टिंग छोरी कऽ ऋषिकेश चैल गेलथी। जतय ओ  एकटा ढाबा पर काज करै लगला। दरअसल संजय अपन पिता के बहुत नजदीक छलैथ। पिता के देहांत हुनका एना झकझोरलनी जे ओ गुमशुदा भऽ गेलैथ और असगर महसूस करै लगलैथ। संजय सौ सं बेसी फिल्म मे काज कऽ चुकल छलैथ मुदा अतेक फिल्मक उपरांतो हुनका ओ सफलता नै भेटलनि जाहिके ओ दरकार छलैथ। शायद अहि कारण सं ढाबा पर संजय के कियो चिन्हबो नै केलकनि। दिन बीतैत गेल आ हुनक समय ढाबा पर सब्जी बनाबय मे, आमलेट बनाबय मे कटय लागल छलैन।
रोहित शेट्टी बदल'लनि हिनक जिनगी
संजय अपन पूरा जिनगी ओहि ढाबा पर काज करबा मे बिता दैतैथ अगर रोहित शेट्टी नै रहितैथ। रोहित और संजय मिशा फिल्म 'गोलमाल' मे संगे काज क चुकल छलैथ। ओ अपन अगीला फिल्म 'ऑल द बेस्ट' पर काज कऽ रहल छलैथ आ ओहि दौरान हुनका संजय के ध्यान एलनी। संजय फिल्म मे लौटबा के तैयार नै छलैथ। मुदा रोहित शेट्टी हुनका मनेलनी और फिल्म मे साइन केलनि। एकर बाद तऽ सब जानैत छि जे फेर संजय मिश्रा जी के कखनो बॉलीवुड छोड़बा के मोन नै भेलनी।
प्रसिद्ध फिल्‍म- 
ओह डार्लिंग ये है इंडिया, सत्‍या, दिल से, फिर भी दिल है हिन्‍दुस्‍तानी, साथिया, जमीन,  मसान, प्‍लान, ब्‍लफमास्‍टर, बंटी और बबली, गोलमाल, अपना सपना मनी मनी, गुरू, बॉम्‍बे टू गोवा, धमाल, टोटल  धमाल, अंग्रेजी में कहते है, टॉट वेलकम, वन टू थ्री, क्रेजी 4, गाड तुसी ग्रेट हो, गोलमाल रिटर्न्‍स, ऑल द बेस्‍ट: फन बिगिन्‍स,  अतिथि तुम कब जाओगे, गोलमाल 3, फंस गए रे ओबामा, चला मुसद्दी ऑफिस ऑफिस, सन ऑफ सरदार, जॉली एलएलबी, बॉस, आंखो देखी, भूतनाथ रिटर्न्‍स, किक, दम लगा के हईशा, सुपर 30, जीरो, ठग्स ऑफ हिंदोस्तान, स्टूडेंट ऑफ द इयर 2, सिंबा, गल्ली बॉय, केसरी, धूम 4, जबरिया जोड़ी।

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किछ रास और फिल्म -
आशिकी 3, द गुड महाराजा,  बागी 3, मनमर्जियां, घुमकेतू, फोबिया 2, संदीप और पिंकी फरार, कनेडा, बाजार, तुम्बाड, दोस्ताना 2, द डार्क साइड ऑफ़ लाइफ मुंबई सिटी, मणिकर्णिका- द क्वीन ऑफ़ झांसी, द माया टेप आदि शामिल अछि।

बुधवार, 23 अक्टूबर 2019

एहन सुन्दर मुख कहियो न देखल लिरिक्स - श्रीराम की शोभा गीत

श्रीराम की शोभा गीत :-

एहन सुन्दर मुख कहियो न देखल, 
टनमन नील रंग चान माई हे

छबबा के पतिया से छिटके विजुरिया,
ताहि पाछु घटा घमशान माई हे

ओठवा के रंग शोभे अरुण अधरबा,
तहि वीच मंद कुसुकान माई हे

लतिका सनेह देखे मुँहके सुरतिया 
बिसरल सुधि बधि ग्यान माइ हे


बुधवार, 16 अक्टूबर 2019

आहे सुतल बेटी अंचरा रे बिछाए लिरिक्स - Aahe Sutal Beti Achra Re Bichhae

आहे सुतल बेटी अंचरा रे बिछाए 
नयनमा नीदिया आबि गइला हे 
आहे सुतल बेटी अंचरा रे ओछाये
रे कि नींदिया आबी गईला हे
घोड़बा चढ़ल अयलन रामजी पहुनमा हे 
घोड़बा चढ़ल अयलन रामजी पहुनमा हे 
बेटी उठलन चेहाय हे कि 
जागो जनमल होरिन बेटिया हे 
होरिन बेटिया हउये तोहरे सुंदरि बहिनिया हे। 
आहे पोथी मोरा छुटलन बनारस 
किशोरी आगु मूरख भेलिए 
हे पढ़ल लिखल सब भुलाय गेलिये 
हे किशोरी आगू मूरख भेलिये हे

सोमवार, 14 अक्टूबर 2019

वर के खयबा काल के गीत - दूल्हा के खायत काल के मैथिली लोकगीत


● दुलहा ओते नहि लजाउ - लिरिक्स

दुलहा ओते नहि लजाउ, कनी आर खाउ यौ
हमर कका कुमार, अहाँ काकी दियौन यौ
दुलहा ओते नहि लजाउ, कनी आर खाउ यौ
हमर भइया कुमार, अपन बहीनि दियौन यौ
दुलहा ओते नहि लजाउ, कनी आर खाउ यौ
हमर मामा कुमार, अपन पीसी दियौन यौ
दुलहा ओते नहि लजाउ, कनी आर खाउ यौ


● एक बेर अपनहि सऽ - लिरिक्स

मनसँ किए नहि जेमइ छी, से हमहूँ जनै छी
व्यंजन एको टा ने बनल बुझाइ हे ललन
एक बेर अपनहि सँ मांगि किछु खाउ हे ललन
अयोध्या थिक राजधानी से तऽ सभ जानी
मिथिला पटुआक झोर हम की दीअ हे ललन
बनल अनोन सनोन सभटा बुझब अपन
हिय किछु नहि राखब ह ललन
निरधन घर ससुरारि, किये लए करब पुछारि
सारि सरहोजिक स्नेह हियमे राखब हे ललन
एक बेर अपनहि सऽ मांगि किछु लीअ हे ललन

गारि गाबथि राजदुलारि - Maithili Lokgeet

गारि गाबथि राजदुलारि, जेमथु रामजी लला
सोना के आसन रतन सिंहासन
बैसथु अवधकुमार, जेमथु रामजी लला
जेमय बैसला राम चारू भइया
होयत परस्पर गारि, जेमथ रामजी लला
खाजा हलुआ होयत जिलेबी
ताहि पर सऽ पूआ-पकमान, जेमथु रामजी लला
गारि गाबथि राज दुलारि, जेमथु रामजी लला
रूसथि रघुबर मानथि नाही
राखि लीअ नेह हमार, जेमथु रामजी लला
हीरा मोती लाल जवाहर
सम्पति सकल तोहार, जेमथु रामजी लला
गारि गाबथु राजदुलारि, जेमथु रामजी लला
शोर भयो चहुँओर जनकपुर
साजि चलल नर-नारि, जेमथु रामजी लला
गारि गाबथु राजदुलारि, जेमथु रामजी लला

आजु हमर बड़ भाग रे - Maithili Lokgeet

आजु हमर बड़ भाग रे पाहुन एला भगवान रे
पाहुन एला भगवान रे थार भरल पकवान रे
सागहि भोजन आधारे मधुमिसरिक संचार रे
मधुमिसरीक संचार रे धृतहि करू परचार रे
हम कते विचारब, गूने बूझल ऊँच-नीच रे
भनहि विद्यापति भान रे, सुपुरूष बसथि सुठाम रे

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जीमथु आजु जनक जी - Maithili Lokgeet

जीमथु आजु जनक जी के आँगन दशरथ अवधबिहारी जी
सगर जेमन सुर-नर किन्नर होय मधुर सुर गारी जी
छप्पन भोग छत्तीसो व्यंजन विविध भांति तरकारी जी
सुख सरसत सबरस जेमथु आनन्द चहुदिस भारी जी
कत गुण गाउ सखी समधिन केर अवधक नारि छिनारी जी
कनेक खीर पर राजी होइ छथि कामविवश महतारी जी

पाहुन भोला भंगिया - Maithili Lokgeet

पाहुन भोला भंगिया के जुनि केओ पढ़ियनु गारी हे
शिव तन पर सँ सांप ससरि खसि खसत देत जीव मारी हे
ताकि केहन लएला मुनि नारद बूढ़ बरद असवारी हे
भूत पिशाच नगन-गण संगमे केहन बघम्बर धारी हे
कान कुण्डल गले रूद्रमाला भाल चन्द्र छवि न्यारी हे
डामरु धारी सभ भिखारी धथुर भांग अहारी हे
काशी ओ कैलाश बिहारी नाम हुनक त्रिपुरारी हे
पाहुन शिव त्रिभुवनपति जुनि गाउ अनट अचारी हे

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आसन पर बैसू गिरधारी - Maithili Lokgeet

आसन पर बैसू गिरधारी सुनू विनती हमारी जी
थारी मे भात सांठल अछि बाटी मे दालि राखल
ताहि ऊपर धृत ढ़ारी, सुनू विनती हमारी जी
ओल - परोर बड़ी - बड़ भटबड़
तरह-तरह तरकारी, सुनू विनती हमारी जी
तरल रहू मांगुर झोराओल
छागर मारि कयलनि, ससुर तइयारी जी
कहथि विद्यापति विनती रुचिसँ जेम लालन
भेटली राधा सन प्यारी, विनती हमारी

शुक्रवार, 11 अक्टूबर 2019

रक्त काली मंदिर मतस्यगंधा सहरसा : फ़ोटो गैलरी

गुरुवार, 10 अक्टूबर 2019

धन धन सीताजी के फुलवरिया लिरिक्स - मैथिली कीर्तन

धन धन सीताजी के फुलवरिया
जहाँ अये साँवरिया
माथे मुकुट शोभे काने कुण्डल डोले
अंखियामे शोभे कजरिया
जहाँ आयल साँवरिया
मृदु मुसकान करे तिरछी नजरि मारे
सभा बीच खिचले धनुषिया
जहाँ अयला साँवरिया
सुन्दर रूप देखि सुधि-बुधि गेलै भूलि
आब ने सोहाए घर दुअरिया
जहाँ आयल साँवरिया
जुलफी कपोलन शोभे सीताके मनमोहे
सखि सब करत पुकरिया
जहाँ आयल साँवरिया