गुरुवार, 30 मई 2019

कोहबर गीत Lyrics - मैथिली कोबर गीत - Kohbar Geet Lyrics

कोहबर गीत - मैथिली में Lyrics 

मिथिलाक में प्रसिद्ध मैथिली कोहबर गीत लिरिक्स संग्रह















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रविवार, 26 मई 2019

देखल ने एहन जमाइ गे माइ - लिरिक्स

Dekhal Ne Ehan Jamai Ge Mai Lyrics

देखल ने एहन जमाइ गे माइ
भन-भन भृंग भनकय, सखि हे सह-सह करनि साँप
आगू-पाछू भूत भभूत लए कर, 
देखि जिय थर-थर काँप गे माई 
देखल ने एहन जमाइ गे माइ

बाघक छालक पहिरन देखल, लटपट बसहा असबार
एक हाथ डिमडिम डामरू बजाबय, 
एक हाथ मनुष कपार गे माई 
देखल ने एहन जमाइ गे माइ

जटाजूट सिर छाउर लगाओल, गर बीच शोभे रूद्रमाल
देखितहि रूप इहो मैना पड़यली, 
सखि सब भेली बेहाल गे माइ 
देखल ने एहन जमाइ गे माइ

हरलक मति पुनि मैनाक योगिया, दूरि कएल हुनक गेयान
रामचन्द्र हर ईश सगुन रूप,
जेहि कर वेद बखान गे माइ
देखल ने एहन जमाइ गे माइ

शुक्रवार, 24 मई 2019

कन्यादान काल के गीत - मैथिली कन्यादान गीत लिरिक्स - Maithili Kanyadan Geet Lyrics

आजु शुभ दिन मंगल, मंगल गाउ हे - Lyrics

आजु शुभ दिन मंगल, मंगल गाउ हे
जानकी होयत विवाह जनकपुर आउ हे
धनुष तोड़ल रघुनाथ मेदिनी छहरायल हे
जयमाला सीता हाथ राम पहिरायल हे
सीता आंगुरि धराय कोबर घर जाउ हे
आजु शुभ दिन मंगल, मंगल गाउ हे


गुरुवार, 23 मई 2019

जननी हे एक अहिं केर आश लिरिक्स - Janani He Ek Ahin Ker Aash Lyrics

अहिं के चरण मे रहब सदा हम,
ऐछ एतबे अभिलाष,
जननी हे एक अहिं केर आश 
अहिं के चरण मे रहब सदा हम,
ऐछ एतबे अभिलाष,
जननी हे एक अहिं केर आश 

पाबि अहीँक आशीष बनल अछि,
रामक प्रिय हनुमान,
अहीँक कृपा बल पाबि बटै छैथ,
श्री गणेश सद ज्ञान
जननी हे एक अहिं केर आश,
जननी हे ऐछ एतबे अभिलाष

दिनकर ज्योति पसारथी प्रतिदिन,
पाबि अहीँक आदेश,
बिनु अपनेक निदेश करथि नहि,
पवनो कतहु प्रवेश
जननी हे एक अहिं केर आश,
जननी हे ऐछ एतबे अभिलाष

अहिंक कृपा सब जीव जंतु में,
चलै अछि प्रति स्वास,
तखन अहाँक प्रदीप जननी हे,
जायत ककरा पास
जननी हे एक अहिं केर आश,
जननी हे ऐछ एतबे अभिलाष

गीतकार: मैथिली पुत्र प्रदीप (प्रभुनारायण झा)

बुधवार, 22 मई 2019

साओन के महीना पाबनि केर दिन लिरिक्स | मधुश्रावणी पाबनिक गीत saaon Ke Mahina Pabani Ker Din Lyrics

साओन के महीना पाबनि केर दिन
मनसँ पाबनि पूजू ए कनिञा
शुभ रहत सभ दिन।
केहि रे पठेलखिन केर दही भरिया
के मोरा देलखिन साया-साड़ी-चूड़िया
ससुर मोरा पठेलखिन केरा-दही भरिया
सासु मोरा देलखिन साया-साड़ी-चूड़िया
मनसँ पाबनि पूजू ए कनिञा
शुभ रहत सभ दिन।

शुक्रवार, 17 मई 2019

बाबा यौ पाबनि मोर लग आयल | मधुश्रावणी पूजा गीत

Baba yau pabni mor lag aayal lyrics

बाबा यौ पाबनि मोर लग आयल
प्रभुजी नहिए एलखिन ना
बाबा यौ पाबनि मोर लग आयल
प्रभुजी नहिए एलखिन ना

बाबा यौ साओन भादव के नदिया उमड़ल
प्रभुजी कोना कऽ औथिन ना
बाबा यौ पाबनि मोर लग आयल
प्रभुजी नहिए एलखिन ना..

बेटी हे भेजबइ सोना के घोड़बा
कि प्रभुजी चढ़िकऽ औथिन ना
बाबा यौ पाबनि मोर लग आयल
प्रभुजी नहिए एलखिन ना..

बुधवार, 15 मई 2019

मिथिला के बैद्यनाथ बाबा कपिलेश्वर नाथ : मधुबनी, ककरौल

मिथिला धरोहर : कपिलेश्वर स्थान मधुबनी जिलान्तर्गत ककरौल, रहिका मे स्थित अछि ( Kapileshwar Nath, Kakraul, Rahika, Madhubani ) । बाबा कपिलेश्वर शिवधाम मिथिलाक प्रमुख सिद्धतीर्थ अछि। लोग हिनका 'मिथिला के बैद्यनाथ' सेहो कहैत छथि। एतय  कपिल मुनि अपन घोर तपस्या सं शिव के प्रसन्न कऽ सिद्धि प्राप्त केलनी, तत्पश्चात सांख्य शास्त्र के जटिल सूत्र के रचना कऽ मानव सृष्टि के रचना मे पुरूष आ प्रकृति के सत्ता प्रमाणित केने छलथि। अहि स्थान के महत्व खाली  कपिल मुनि द्वारा स्थापित शिवालय के कारने टा नै अछि, बल्कि पुराणक अनुसार कपिलेश्वर स्थान के महत्व राजा जनक केर राजधानी या सुखवास के मुख्य दक्षिणी सीमा पर स्थित रहबाके कारण सेहो अछि। नश्रुति अनुसार राजा जनक प्रतिदिन एतय शिवलिंग के पूजा करै लेल आबय छलथि।

पौराणिक महत्व :-
महर्षि कर्दम आ देवहुति के आत्मज कपिल मुनि जे विष्णु केर अवतार कहल जाइत छलथि, मिथिलापुरी के दक्षपुत्री सती के शरीरांश गिरला सं आ गिरिराज किशोरी पार्वती के जन्मभूमि हेबाक कारण परम पवित्र बुझी के  घनघोर जंगल और महाश्मसान'क बीच पवित्र कमला नदी के कात आश्रम बनेलनि जतय ज्ञान प्राप्ति लेल कपिल मुनि शिवलिंग के स्थापना केलथि, जे कपिलेश्वर नाम सं विख्यात भेलथि। अहि शिवलिंग पूजन के परंपरा सहस्त्राब्दि से अछि। महाभारत मे अहिके उल्लेख हिनके वचन मे -कपिलेश्वर तत: प्राह सांख्यर्षिदेव सम्मत:, मया जग्मान्यनेकानि भक्त्या चाराधिता भव:, प्रीतश्च भगवान ज्ञानं ददौ भवान्तकम् ।
कपिल आ कपिलेश्वर लिंग के वर्णन वृहद विष्णपुराण, श्वेताश्वतर उपनिषद, यामलसारोद्धार तंत्र सहित कतेको प्राचीन ग्रंथ मे पायल जाइत अछि। एकटा स्थान पर उल्लेख भेटय अछि जे सीता राम बियाह मे शिव जनकपुर पधाराने छलथि जाहिसे अहि  शिवलिंग के प्राचीनता सिद्ध होइत अछि।

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विद्धान के राय मे कपिलेश्वर
गीता एवं रामायण अनुसार सेहो कपिलेश्वर शिव केर प्रतिष्ठापक बहुते प्राचीन ऋषि छथि। कपिल केर बहिन अनसूया अपन आश्रम मे सीता के उपदेश देलथि। ऐतिहासिक प्रमाण आ जनश्रुति आधार पर मुनिवर कपिल मधुबनी के समीन ककरौल गांव के वासी छलथि। ओतय हुनक प्रसिद्ध आश्रम छलनी। महाकवि विद्यापति कहै छथि -कत युग सहस वयस वहि गेला। कहल जाइत अछि जे महाकवि विद्यापति के जन्म आशुतोष कपिलेश्वर के कृपाप्रसादात स्वरूप भेलनि।
काम मोक्ष प्रदाता छथि कपिलेश्वर
जनमानस मे बाबा कपिलेश्वर नाथ काम मोक्ष प्रदाता छथि। कपिलेश्वर बाबा जगत के स्वामी, जगत किसान, त्रिभुवन दाता, संतान दाता, धान्य दाता, पशुपति, रोग शोक नाशक बैद्यनाथ, अधम उद्धारक आदि के रूप मे प्रसिद्ध छथि।

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दरभंगा महाराज के स्वामित्व मे अछि मंदिर
इ मंदिर दरभगा महाराज के धार्मिक ट्रस्ट के अधीन अछि। महाराज दरभंगा धार्मिक न्यास के तहत 75 एकड़ जमीन दान द के 25 एकड़ के विशाल सरोवर के निर्माण करबेलनी।
कोना पहुँचब
कपिलेश्वर शिवधाम पहुंचबाक लेल मधुबनी जिला मुख्यालय सं आठ किलोमीटर पश्चिम इ शिवधाम तीनटा पक्का सड़क मधुबनी रास्ते रहिका, मधुबनी- ककरौल चौक-कपिलेश्वर स्थान, एवं मधुबनी-सीमा-कपिलेश्वर स्थान सं जुड़ल अछि। राजधानी पटना सं जयनगर रास्ते रहिका जाय बला राष्ट्रीय राजमार्ग पर बस आ अन्य वाहन सं चैल क अहाँ पहुंच सकैत छि। इ धाम सड़क'क कात स्थित अछि।

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शुक्रवार, 10 मई 2019

देखू सखि दाइ माइ, ठकलक बभना आइ लिरिक्स

Dekh Sakhi Dai Mai Lyrics

देखू सखि दाइ माइ, ठकलक बभना आइ

पहिने सुनैत छलियनि जस तीन भुवन,
आब सुनैत छियनि घर नहि आंगन

भोला के माय-बाप नहि केयो छनि अपना
गौरी के सासु-ननदि सब सपना

गौरी तप कयलनि रात दिना, 
तिनका एहन बर देल विधना

भनहि विद्यापति सुनू मैना, 
नाचथि सदाशिव भरि अंगना

रचनाकार : विद्यापति

मंगलवार, 7 मई 2019

कारू बाबा धाम महपुरा, बरेटा, सहरसा

मिथिला धरोहर : संत बाबा कारू धाम  ( Sant Baba Karu Dham Mahpura Bareta ) सहरसा जिला के महपुरा बरेटा मे स्थित अछि। संत बाबा कारू भगवान शंकर केर वरदान सं महान पुरुष और भगवान छथि। एतय प्रतिदिन दुध आ आन सामाग्री श्रद्धा सं चढ़ायल जाइत अछि एतय कोबला मांगनिहार के सबटा मनोकामना पुर होइत अछि। एतय एला सं दिव्य शांति के अनुभुती होइत अछि।

कलयुग मे कारू बाबा अपन कर्म के बल पर अपन पूजा के बलपर भगवन शंकर नाकुचेश्वर महादेव केर ऐतिहासिक स्थान पर आबय लेल विवश क देलनि, दर्शन देलाक पश्चत भगवन शंकर बाबा करू के कहलनि, वत्स, कारु हम अहाँके भक्ति सं अति प्रसन्न भेलहुँ अहाँ हमरा सं वरदान मांगु, बाबा कारु नम्र भाव सं बजला हमरा अहाँ भेट गेलहुँ आब हम अहाँ सं की मांगू तहन भगवन शंकर बजला जाऊ आय सं अहाँके प्रतिदिन दूध, घी, खीर, गाजा इत्यादि चढ़त और जा धरि इ धरती सूर्य चन्द्रमा रहत ता धरि अहाँके नाम रहत और ह जाबे धरि अहाँ कलयुग मे जिन्दा रहब आ जहन हमरा याद करब हम अहाँक सोंझा आबि जायब।

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आय एतय सब दिन लोग पूजा करबाक लेल बहुते दूर सं आबय छथि चाहे रैद होय, गर्मी होय या बरसात, बाबा कारु केर जीवन काल बहुते छोट छलनी, बाबा करू गौ माता के सेवा करै छलथि, महपुरा बरेटा गामक बीच मे बरका टा जगह छल लहठा बथान ओतय लघभग हजारो गायक झुण्ड एक संग राखय छलथि।

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एतय के मुख्य विशेषता अछि जे इ मंदिर कोशी नदी कात बसल अछि जतय नदी के वेग सदिखन बनल रहैत अछि। एतय सब साल दुर्गा पूजा मे बहुते विशाल मेलाक आयोजन होइत अछि।

गुरुवार, 2 मई 2019

दरभंगा में चिता पर बसल मां काली केर धाम

दरभंगा मे काली रूप मे श्यामा माई ( Shyama Mai Mandir Darbhanga ) बड़ भव्य रूप मे भक्त के दर्शन दैत छथि। अहि मंदिरक सबसँ खास बात इ अछि जे इ मंदिर नय केवल चिता पर बनल अछि आ संगेह मंदिरक अंदर सब तरहक मागंलिक कार्य सेहो कैल जाईत अछि।

मिथिलांचलक दरभंगा जिला मे मधेश्वर परिसर मे माँ काली केर इ भव्य मंदिर अवस्थित अछि, हिनका एतय भक्त श्यामा माई केर नाम सँ पुजैत छथि। माँ काली के इ मंदिर दरभंगा राज परिवारक महान साधक महाराज रामेश्वर सिंह केर चिता पर बनल अछि। अहि मंदिर के अंदर दक्षिण दिशा दिस एकटा खास स्थान पर आयो भी लोगसब साधक महाराज रामेश्वर सिंह केर चिता के तपिस के महसूस करैत छथि, फेर जाहे कतबो ठंडी किया ने पैर रहल होय।

एतुका लोगक माननाय अछि जे पूरा भारत मे काली केर एतेक बड़का मूर्ति कतो नै कछि।मूर्ति के विग्रह अलौकिक और अविस्मरणीय अछि। भक्त के माँ श्यामा केर दर्शन सं अदभुत सुख के प्राप्ति होइत अछि। कहैत अछि अगर भक्त नम आंखि  सं किछो भी मांगैत छथि त हुनक इच्छा अवश्य पूर्ण होइत छनि। अहि विशालकाय मंदिर के स्थापना १९३३ 1933 मे दरभंगा महाराजा कामेश्वर सिंह अपन पिता महाराजा रामेश्वर सिंह केर चिता पर केने छलथि। 

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जाहिमे माँ श्यामा केर 10 फ़ीट ऊँच विशाल मूर्ति भगवन शिव केर जांघ एवं वक्षस्थल पर अवस्थित अछि। माँ काली केर दाहिन दिस महाकाल और बाया दिसन भगवान गणेश और बटुक केर प्रतिमा स्थापित अछि। चाइर हाथ सं सुशोभित मां काली केर अहि भव्य प्रतिमा मे मां केर बाया दिसन के एकटा हाथ मे खड्ग, दोसर मे मुंड त ओतय दहिनी दिसन के दुनु हाथ सं अपन पुत्र के आशीर्वाद दै के मुद्रा मे विराजमान छथि। मंदिर के पूरब में नेपाल नरेश द्वारा भेंट कायल अष्टधातु स बनल बहुत पैघ घंटा अछि, जेकरा दिन में दू बेर आरती के समय बजायल जाइत अछि। 
मां श्‍यामा केर दरबार मे होमय बला आरती के विशेष महत्व अछि। मानल जाइत अछि जे कियो मां केर अहि आरती के गबाह बनी गेल ओकर जीवनक सबटा अंधकार दूर भ जाइत अछि संगेह भक्त के सबटा मनोकामना सेहो पुर भ जाइत अछि। मंदिर के गर्भगृह मे जतय एक दिस काली रूप मे मां श्यामा केर भव्य दर्शन होइत अछि, ओतय दोसर दिस प्रार्थना स्थल के मंडप मे सूर्य, चंद्रमा ग्रह, नक्षत्र सहित कतेको  तान्त्रिक यंत्र मंदिरक दीबाल पर देकहबाक भेटय अछि। प्रतिवर्ष अगहन पञ्चमी सअ नव दिन के श्यामानाम धुनकीर्तन (नवाह) के आयोजन कायल जाइत अछि।

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आमतौर पर हिन्दू रीती रिवाजक अनुसार इ परंपरा रहल अछि जे कियो भी व्यक्ति के कुनो भी मांगलिक संस्कार भेला के एक साल धरि ओ श्‍मशान नै जाइत अछि, मुदा मां श्यामा के अहि मंदिर मे नबका जोड़ा मां केर आशीर्वादे लेबय नै बल्कि श्मसान भूमि पर बनल अहि मंदिर मे कतेको बियाह सेहो होइत अछि।