गुरुवार, 30 मई 2019

कोहबर गीत Lyrics - मैथिली कोबर गीत - Kohbar Geet Lyrics

कोहबर गीत - मैथिली में Lyrics 

१. एते दिन बाजय कोइली भोर | Maithili Lokgeet

एते दिन बाजय कोइली भोर भिनसरबा, आइ किए बाजय आधी राति हे
कोइली सबद सुनि पिया मोरा जागल, तखने चलल परदेश हे
घरसँ बहार भेली सुहबे से कनियां सुहबे, धय लेल पिया के पछोर हे
अपने तऽ जाइ छी पिया देश रे विदेशबा, हमरो के कहाँ छोड़ने जाइ हे
नहिरा मे छथि धनि माय-बाप-भइया, सासुरमे लक्ष्मण दिओर हे
अपना लेल छथिन प्रभु माय-बाप भइया, अपना लेल लक्ष्मण दिओर हे
अहीं तऽ पिया सींथक सिन्दूर हमार, अहीं प्रभु सोहरो सिंगार हे


२. नदिया के तीरे तीरे माली | Maithili Lokgeet

नदिया के तीरे तीरे माली फुलबरिया, ताहिमे चानन के गाछ हे
ताहितर मालिन बेटी पलंगा ओछाओल, राजा बेटा खेलय शिकार हे
सब दिन आबै छलहुँ भोर भिनसरबा, आइ किए एती एती राति हे
अहूँ सँ सुन्नरि धनि मालिन केरि बेटिया, ओ मोरा राखल लोभाइ हे
आबथु मालिन बेटी पलंगा चढ़ि बैसथु, कओने रीति जोड़ल सिनेह हे
ताही खन मालिन बेटी पलंगा ओछाओल, मनेमन जोड़ल सिनेह हे


३. कओने गामे उपजल सखि | Maithili Lokgeet

कओने गामे उपजल सखि पानक बिड़िया, हे आहे सखी
नौरंग बिड़िया हे
कओने गामे उपजल डारि हे, दुलहा के निनियाँ घुरमल हे
फलां गामे उपजल सखि पानक बिड़िया हे, अपन गामे चतरल डारि हे
पंकज दुलहा के निनियां घुरमल हे
कओने छुरी कतरब आहे पानक बिड़िया हे, आहे सखि नौरंग बिड़िया हे
कओने छुरी कतरब डारि हे, आहे दुलहा के निनियां घुरमल हे
सोने छुरी कतरब सखि हे पानक बिड़िया, आहे सखि नौरंग बिड़िया हे
सोने छुरी कतरब डारि हे, आहे पंकज दुलहा के निनियां घुरमल हे
सेहो पान खयलनि पंकज दुलहा हे, रंगि लेल बत्तिसो मुख दांत हे
पंकज दुलहा के निनियां घुरमल हे
हंसि हंसि पुछथिन कनियाँ सुहबे हे, कहमा रंगेलहुँ बत्तिसो दांत हे
तोहरो नैहरबा छनि मोर ससुररिया, सरहोजि रंगल बत्तिसो दांत हे



४. कजरा जे पारि पारि लिखलमे | Maithili Lokgeet

कजरा जे पारि पारि लिखलमे कोहबर, लीखि लेल चारू भीत गे माई
हे झाड़ि लीखू कोहबर, अवध लिखू कोहबर
ताहि कोबर सुतला रामचन्द्र दुलहा, पीठ लागि सिया सुकुमारि गे माई हे झाड़ि...
घूरि सुतू फिरि सुतू राजा के बेटिया, अहूँ देह गरमी अपार गे माई हे झाड़ि...
एतबा वचन जब सुनलनि कनियाँ सुहबे, रूसि नैहर चलि जाथि गे माई हे झाड़ि...
घुरबय गेलथिन देओर से लक्ष्मण देओर, मानू भौजी बात हमार गे माई हे झाड़ि...
हम नहि घूरब देओर फेरू अहूँके वचनियाँ, कोबरक रीत अनरीत गे माई हे झाड़ि...


५. भेल विवाह राम चलला | Maithili Lokgeet

भेल विवाह राम चलला, कोबर घर, सरहोजि छेकल दुआरि हे
छोडू-छोडू आहे सरहोजि, हमरो कोबर घर जाय दीअऽ हे
नहि छोड़बै आहे रामचन्द्र अहूँके कोबर घर, हमरो के किए देब दान हे
देबमे देब हे सरहोजि कान दुनू सोनमा, देबमे गला गृमलहार हे
नहि लेब आहे रामचन्द्र कान दुनू सोनमा, नहि लेब गला गृमलहार हे
लेबमे लेब रामचन्द्र छोटकी बहीनियाँ, पियाजी के भेजब संदेश हे


६. चलू चलू ओ राम | Maithili Lokgeet

चलू चलू ओ राम, झटसँ पहिरू खराम, चलि कऽ करू गऽ आराम कोबरा घरमे
शोभित ललित पलंग, हीरा मोती लागल दुनू अंग, भय गेलीह सरहोजी संग, कोबरा घरमे
शोभित ललित पलंग, हीरा मोती लागल दुनू अंग, सारि सभ करथि राग-रंग, कोबरा घरमे
शोभित ललित पलंग, हीरा मोती लागल दुनू अंग, कनियां के करू गय संग, कोबरा घरमे
सुनू सुनू यौ सरकार, ई सभ तिरहुतके व्यवहार, सासु धेने छथि केबार, कोबरा घरमे


७. घर पछुअरबा लौंग केर गछिया | Maithili Lokgeet

घर पछुअरबा लौंग केर गछिया, लौंग चुबय आधी राति हे
लौंग के चुनि चुनि सेजिया सजाओल, सेज भरि देल छिड़िआइ हे
ताहि कोबर सुतलनि दुलहा से रामजी दुलहा, संगमे सिया सुकुमारि हे
घुरि सुतू फिरि सुतू सुहबे हे कनियां सुहबे, अहूँ घामे भीजत चादरि हे
एतबा वचन जब सुनलनि कनियां सुहबे, रूसि नैहर चलल जाथि हे
एक कोस गेली सीता दुइ कोस गेली, तेसरे मे भय गेल सांझ हे
कहां गेलह किए भेलह भैया रे मलहबा, नइआसँ उतारि दैह पार हे
दिनमे खुअयबह सुन्दर चेल्हबा मछरिया, राति मे ओढ़ायब महाजाल हे
चान सुरुज सन अपन प्रभु तेजल, तोहर बोली मोरो ने सोहाय हे
एक नइआ आबय आजन बाजन, दोसर नइआ आबय बरिआत हे
तेसर नइआ फल्लां दुलहा आयल, पान खुआय धनी मनाओल हे
घर पछुअरबामे सुपारी के गछिया, चतरल चतरल डारि हे
घुमइत फिरइत अयला रामचन्द्र दुल्हा, तोड़ि लेल सुपारीक डारि हे
मचिया बैसल अहाँ निज हे सासु, मालिन बेटी देत उपराग हे
अपन पुत्र रहितै डांटि डपटि दितिऐ, परपुत्र डांटल ने जाय हे


८. कमलक दहे दहे बेली फूल फूलल | Maithili Lokgeet

कमलक दहे दहे बेली फूल फूलल, आओर फूलल कचनार हे
फूल लोढ़ऽ गेलाह दुलहा से फलाँ दुलहा, लुबुधि रहल छबे मास हे
घरसँ बहार भेली कनियाँ सुहबे, नैनासँ झहरय नोर हे
किए मोन पड़ल सुहबे माय-बाप बहिनी, किए मोन पड़लै पंडित भाय हे
नहि मोरा मोन पड़लै सासु, माय-बाप बहीनि, नहि मोन पड़लै पंडित भाय हे
एक मोन पड़लै सासु अहीं केर बेटबा, जिनि बिनु पलंगा उदास हे


९. एकहि पलंग सेज | Maithili Lokgeet

एकहि पलंग सेज पिया संग सुतलौं, हार मोरा गेल हेराय हे
कोठे सन कोबर
नहि घर सासु एली नहि ने ननदिया, तोहें प्रभु लेलहुँ चोराय हे
कोठे सन कोबर
जायब पुरुब देश करब दोसर ब्याह, हार तोरा देब मंगबाय हे
कोठे सन कोबर
जुनि तोहें जाहु प्रभु ओही रे पुरुब देश, जुनि कर दोसर ब्याह हे
कोठे सन कोबर
नहि हम लेबै प्रभु ओहो रे हार, सौतिनिक साल जुनि दैह हे
कोठे सन कोबर

हो पढ़ब - मिथिला में कियैक एतैक महत्वपूर्ण छैक कोहबर


१०. रामहि लछुमन वन कय चललाह | Maithili Lokgeet

रामहि लछुमन वन कय चललाह, बाटहिं लागल पियास हे
एहि रे नगरियामे केओ नहि अपन, लछुमन के लागल पियास हे
घरसँ बहार बेली कनियां सुहबे, माथ कलस नेने ठाढ़ हे
पीबू पीबू आहे देओर ईहो शीतल पनियां, इहो थिक जमुनाक नीर हे
ककर बेटी ककर कुल जनमल किये थीक स्वामीक नाम हे
जनक जीक बेटी जनक कुल जनमल, श्रीराम थीक स्वामीक नाम हे


११. चारि चौखंड केर ईहो नब कोबर | Maithili Lokgeet

चारि चौखंड केर ईहो नब कोबर, चारू कात लागल केबाड़ हे
भल कोहबर बनी
कोहबर सूतऽ गेला दुलहा से फल्लां दुलहा, कनियां सुहबे गूथल
फुलहार हे, भल कोहबर बनी
हार गूंथइते सुहबे भरि आयल जंघिया, गेली कनियां अलसाइ हे
एही ठाम छै हे प्रभु हार हमर, पहिरि कय दीअ शृंगार हे
भल कोहबर बनी


१२. सोना के अंगुठी मे लाल नगीना | Maithili Lokgeet

सोना के अंगुठी मे लाल नगीना हे दुलहा के हाथ हे
कहू कहू बाबू सासू के बड़ाइ हे कहू बाबू हे
तोरोसँ सुन्नरि अम्मा सासु हमार हे
नितदिन पियाबथि अम्मा बट्टा भरि दूध हे
कहू कहू आहे देओर सरहोजि के बड़ाइ हे कहू देओर हे
अहूँ सँ सुन्नरि भौजी प्यारी सरहोजि हे
ओछाबथि नितदिन लाली पलंगिया हे
कहू-कहू आहे भैया सारिक बड़ाइ हे
तोरासँ सुन्दर बहिनी सारि प्यारी हे
खुआबथि हे जोड़ा खिल्ली पान हे


१३. मचिया बैसलि अहाँ कनियां | Maithili Lokgeet

मचिया बैसलि अहाँ कनियां से कनियां सुहबे
झाड़थि नामी नामी केश हे
पलंगा बैसल अहाँ दुलहा से फल्लां दुलहा
निहारथि बदनि शरीर हे
जेहो किछु मांगब धनि सेहो किछु मांगि लीअ
इहो थिक कोबरक रीत हे
एक तऽ मंगइ छी प्रभु डुमरीक फुलबा
दोसर बधक दूध हे
बारह बरख हम निकुंजवन सेवल
तइयो नहि मिलल डुमरीक फूल हे
बारह बरख हम निकुंजवन सेवल
तइयो ने मिलल बाघक दूध हे
हाटे बजार सौं सिनूर मंगायब
दूनू मिल भोगब संसार हे
हाटे बजार सँ मधुर मंगायब
दूनू मिलि जोड़ब सिनेह हे


१५. काँच ईंटाक महल उठाओल | Maithili Lokgeet

काँच ईंटाक महल उठाओल, सोना मुठी लागल केबार हे
नव वर-नव कनियां
ताही कोबर सूतऽ गेला फलां दुलहा, कनियां सुहबे सुतू संग साथ हे
नव वर-नव कनियां
घुरि सुतू फिरि सुतू कनियां से सुहबे, अहूँ देह गरमी अपार हे
नव वर-नव कनियां
एतबा वचन जब सुनलनि कनियां, पलंग छोड़ि भूमि गेली लोटाय हे
नव वर-नव कनियां
आबथु सरहोजि बैसथु पलंग चढ़ि, देखि लेथु ननदो चरित्र हे
नव वर-नव कनियां
हमरो ननदिया रसिया बड़रे दुलरुआ, पाकल पान नहि खाथि हे
नव वर-नव कनियां
हमरो ननदिया प्रभु बड़ रे दुलरुआ, बात सहब नहि जानथि हे
नव वर-नव कनियां

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